जांच पूरी हो जाने और पुलिस द्वारा बी-रिपोर्ट दाखिल करने के बाद आरटीआई के तहत मामले की जानकारी देने पर कोई रोक नहीं: कर्नाटक हाईकोर्ट
कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि एक बार जांच पूरी हो जाने और पुलिस द्वारा बी-रिपोर्ट दाखिल करने के बाद सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मामले के बारे में जानकारी देने पर कोई रोक नहीं है।
न्यायमूर्ति एनएस संजय गौड़ा की एकल-न्यायाधीश पीठ ने राज्य सूचना आयुक्त (एसआईसी) के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा,
"मेरे विचार में, आयुक्त (एसआईसी) ने बी-रिपोर्ट और उसके संलग्नकों को प्रस्तुत करने का निर्देश देना बिल्कुल उचित है जैसा कि प्रतिवादी नंबर 1 द्वारा मांगा गया था, खासकर जब मामले में जांच पूरी हो गई हो।"
लोक सूचना अधिकारी (पीआईओ), सीआईडी ने एसआईसी के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसके द्वारा उसने सीआईडी को बी-रिपोर्ट और संलग्नक सौंपने और प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था, जिसे प्रतिवादी नंबर 1 (मल्लेशप्पा एम चिक्केरी) द्वारा मांगा गया था।
कहा जाता है कि प्रतिवादी के बेटे ने खिड़की से कूदकर आत्महत्या कर ली और अधिकारियों द्वारा यह कहा गया कि अधिक शराब पीने के कारण उसकी मृत्यु हुई। प्रतिवादी नंबर 1 ने बी-रिपोर्ट के बारे में जानकारी मांगी थी जो जांच के बाद दायर की गई थी।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि प्रतिवादी नंबर 1 मजिस्ट्रेट से बी-रिपोर्ट और संलग्नक के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है। अपील में, एसआईसी ने आदेश दिया कि जांच पूरी होने के बाद से मांगी गई जानकारी देने पर कोई रोक नहीं है। केवल उस स्थिति में जब मामले की जांच चल रही है तो जांच के संबंध में जानकारी देने पर रोक है।
उच्च न्यायालय ने एसआईसी के उपरोक्त आदेश से सहमति व्यक्त की और तदनुसार याचिका को खारिज कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता का यह तर्क कि प्रतिवादी संख्या 1 द्वारा मजिस्ट्रेट से बी-रिपोर्ट और संलग्नक प्राप्त कर सकता है, आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी को अस्वीकार करने का आधार नहीं हो सकता है। इसके साथ ही याचिका पर विचार करने का कोई आधार नहीं बनाया गया है। तदनुसार, याचिका खारिज की जाती है।
केस का शीर्षक: जन सूचना अधिकारी बनाम मल्लेशप्पा एम चिक्केरी
केस नंबर: WP 18599/2021
आदेश की तिथि: 12 अक्टूबर, 2021
उपस्थिति: याचिकाकर्ता के लिए अधिवक्ता वेंकट सत्य नारायण