एमपी हाईकोर्ट के सीजे रवि मलिमठ ने गणतंत्र दिवस पर कार्यक्रम में कहा, समय पर न्याय प्रदान करना न्यायपालिका का प्राथमिक कर्तव्य
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की प्रिंसिपल बेंच जबलपुर में गुरुवार को 74वां गणतंत्र दिवस पूरे उत्साह के साथ मनाया गया। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रवि मलिमठ ने इस अवसर पर झंडा फहराया।
मुख्य न्यायाधीश ने इस अवसर पर कहा कि 26 जनवरी, 1950 को भारत के संविधान को लागू करने के साथ देश ने खुद को गणतंत्र घोषित करने के बाद वास्तव में एक लंबा सफर तय किया है। हम अपने पूज्य पूर्वजों द्वारा किए गए बलिदानों को हमेशा याद रखेंगे। उन्होंने कहा कि हमें उन लोगों को याद रखने और उनके प्रति अपना आभार व्यक्त करने की आवश्यकता है, जिन्होंने भारत को एक मजबूत और स्वतंत्र देश बनाने में मदद की है।
समय पर न्याय प्रदान करना न्यायपालिका का प्राथमिक कर्तव्य
उन्होंने कहा कि न्यायपालिका भारतीय लोकतंत्र के तीन स्तंभों में से एक है। प्रत्येक स्तंभ को संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने और उनकी रक्षा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। न्यायपालिका का प्राथमिक कर्तव्य यह सुनिश्चित करना है कि बिना भय या पक्षपात, स्नेह या दुर्भावना के समय पर न्याय प्रदान किया जाए। समाज न्यायपालिका की ओर आस्था और विश्वास के साथ देखता है। इस विश्वास को हमें बनाए रखना चाहिए और मजबूत करना चाहिए। न्यायपालिका क्या कर रही है, इसके बारे में समाज को जागरूक होने की जरूरत है। हमें पारदर्शी होने की जरूरत है। हमें जवाबदेह होने की जरूरत है।
सीजे ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के कुछ महत्वपूर्ण कार्यों का उल्लेख किया और बताया कि लाइव स्ट्रीमिंग, लंबित मामलों के निस्तारण, न्यायिक नियुक्तियां, लॉ रिपोर्ट्स प्रकाशन, वर्चुअल कोर्ट आदि संबंधित विषय पर पिछले साल उल्लेखनीय कार्य हुए।
लंबित मामलों का निस्तारण
उन्होंने बताया कि वर्ष 2022 में 1,21,041 प्रकरणों का निराकरण किया जा चुका है। पिछले साल वर्ष 1968 का सबसे पुराना प्रकरण का निराकरण किया गया। वर्ष 1984 एवं 1987 के दो प्रकरण जो 35-40 वर्ष पुराने थे, उनका निराकरण किया गया। 30-35 वर्षों से लम्बित अन्य चार प्रकरणों का निराकरण किया गया। 25-30 वर्षों से लंबित 144 मामले निपटाए गए। 1,039 मामले 20-25 वर्षों से लंबित थे, 1,565 मामले 15-20 वर्षों से लंबित थे, 2,400 मामले 10-15 वर्षों से लंबित थे, 6,670 मामले 5-10 वर्षों से लंबित थे और पिछले पांच वर्षों से लंबित 09,216 प्रकरणों का पिछले साल निराकरण किया गया।
चीफ जस्टिस ने कहा कि हाईकोर्ट की सभी 3 पीठें 30 मिनट अतिरिक्त समय काम कर रही हैं, जिससे लंबित मामलों के निराकरण में परिणामी वृद्धि हुई है।
उन्होंने बताया कि ज़िला न्यायपालिका स्तर पर 13,03,962 मामलों का निराकरण किया गया, जिनमें से पुराने मामले निपटाने के लिए '25 डीईबीटी' योजना के परिणामस्वरूप 97,153 पुराने मामले निपटाए गए। उन्होंने कहा कि हालांकि 25 सबसे पुराने मामलों के निपटान के संबंध में शुरू में मामूली हिचकिचाहट थी, न्यायिक अधिकारी इसमें काफी सफल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि लंबित मामले हम पर कर्ज है। यह हमारा दायित्व है। हिंदू कानून में पिता के ऋण का निर्वहन करना पुत्र का पवित्र दायित्व है। मुझे लगता है कि मामलों की लंबितता को कम करना हमारा पवित्र दायित्व है।
सीजे मलिमठ ने यह भी बताया कि वह पुराने मुकदमों को न्यायाधीश के ऊपर एक बोझ मानते हैं और इसलिए विगत वर्ष जिला न्यायालय के न्यायधीश को भी अपने न्यायालय के सबसे पुराने 25 प्रकरण निराकृत करने हेतु प्रेरित किया। इस प्रकार की मुहिम चार बार चलाई गई है जिसमें 97153 पुराने प्रकरणों को जिला न्यायपालिका के न्यायधीशगण द्वारा बार के सहयोग से सफलतापूर्वक निराकृत किया गया है। इस वर्ष भी प्रत्येक न्यायालय में ऐसे पुराने प्रकरण निराकृत करने का प्रयास किया जा रहा है।
रिक्त पदों पर नियुक्ति करने के लिए अभियान चलाया
चीफ जस्टिस रवि मलिमठ ने कहा कि हाईकोर्ट के सुचारू संचालन के लिए आवश्यक कई पद रिक्त पड़े थे। इन पदों पर नियुक्ति करने के लिए लिए विशेष अभियान चलाया गया।
उन्होंने कहा कि कनिष्ठ न्यायिक सहायक (junior judicial assistants), निजी सहायक (personal assistants), आशुलिपिक (stenographers), कनिष्ठ न्यायिक अनुवादक (junior judicial translator) और अन्य कर्मचारियों जैसे विभिन्न पदों पर 95 नियुक्तियां की गईं। इसके अलावा अनुकंपा के आधार पर 7 नियुक्तियां की गईं और सभी तीनों बेंचों में कर्मचारियों की कमी को ध्यान में रखते हुए सेवानिवृत्त कर्मचारियों को 12 नियुक्तियां अनुबंध के आधार पर की गईं। उन्होंने बताया कि 119 रिक्तियों को भरने के लिए एक भर्ती अभियान वर्तमान में चल रहा है और शीघ्र ही पूरा हो जाएगा।
सीजे ने साथ ही मध्यस्थता तंत्र, राज्य की सभी जेलों में कानूनी साक्षरता शिविर और विशेष चिकित्सा शिविर के आयोजन, राज्यव्यापी वृक्षारोपण अभियान के बारे में विस्तार से बताया।
सीजे ने स्टेट बार काउंसिल की सराहना करते हुए कहा कि बार ने भी मामलों के शीघ्र निराकरण में व्यापक योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि जैसा कि अक्सर कहा जाता है, वकील और न्यायाधीश एक सिक्के के दो पहलू होते हैं। वे रथ के दो पहिए हैं और ऐसे कई पर्यायवाची शब्द हमारे बीच घनिष्ठ संबंध का वर्णन करते हैं। केवल बार के समर्थ समर्थन और सहयोग से ही परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि अदालतों के सामने आने वाले कई मुद्दों और समस्याओं में बार बेहद सहयोगी रहा है।
सीजे ने कहा,
" मुझे कोई संदेह नहीं है कि बार के सदस्य न्याय के लिए अपना समर्थन जारी रखेंगे। साथ ही मैं हाईकोर्ट के न्यायाधीशों द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना करता हूं। उन्होंने न्यायिक पक्ष और प्रशासनिक पक्ष में अपने उत्तरदायित्वों के निर्वहन में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है।"
उन्होंने कहा कि जहां तक जिला न्यायपालिका के न्यायाधीशों का संबंध है, उनके दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत की अत्यधिक सराहना की जानी चाहिए। उन्होंने पुराने मामलों का निराकरण करने की चुनौती ली है।