मद्रास हाईकोर्ट ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय को फ्लाइट सेफ्टी इंस्ट्रक्शन से संबंधित घोषणाएं स्थानीय भाषाओं में करने की मांग वाली याचिका पर निर्णय लेने के निर्देश दिए

Update: 2021-09-13 10:53 GMT

मद्रास हाईकोर्ट ने सोमवार को एक जनहित याचिका का निपटारा किया, जिसमें केंद्र को यह निर्देश जारी करने की मांग की गई थी कि भारतीय एयरलाइन ऑपरेटरों के केबिन क्रू 'इन फ्लाइट सेफ्टी इंस्ट्रक्शन' से संबंधित घोषणाएं अंग्रेजी और हिंदी के अलावा प्रस्थान शहर और गंतव्य शहर की स्थानीय भाषाओं में करें।

मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति पीडी ऑडिकेसवालु की खंडपीठ ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय को याचिकाकर्ता द्वारा किए जाने वाले एक प्रतिनिधित्व पर मामले का फैसला करने का निर्देश दिया।

पीठ ने उठाई गई शिकायत पर ध्यान दिया कि स्थानीय भाषाओं में सुरक्षा निर्देशों के अभाव में बड़ी संख्या में यात्री निर्देशों का पालन करने में असमर्थ हैं और तदनुसार अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सही कदम नहीं उठा पाते हैं।

याचिकाकर्ता बी. रामकुमार आदित्यन की ओर से पेश वकील ने अदालत को अवगत कराया कि सुरक्षा निर्देशों के संबंध में इस तरह की घोषणाएं विभिन्न स्थानीय भाषाओं में 'रिकॉर्डेड वॉयस' के माध्यम से की जा सकती हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस तरह की सुविधा को समायोजित करने के लिए भारी खर्च न हो।

याचिकाकर्ता ने आगे तर्क दिया कि 'उड़ान सुरक्षा निर्देश' कार्ड विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं जैसे असमिया, बंगाली, बोडो, डोगरी, गुजराती, कन्नड़, कश्मीरी, मराठी, नेपाली, पंजाबी, तमिल और अन्य भाषाओं में मुद्रित होने चाहिए।

न्यायालय ने निर्देश दिया,

"याचिकाकर्ता को विस्तृत प्रतिनिधित्व के साथ सचिव, नागरिक उड्डयन मंत्रालय को संबोधित करने के लिए स्वतंत्र छोड़ दिया गया है। यह मंत्रालय के लिए एयरलाइन ऑपरेटरों के संबंध में उचित कार्रवाई पर विचार करना है।"

खंडपीठ ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय को 4 सप्ताह के भीतर इस तरह का विस्तृत प्रतिनिधित्व देने का निर्देश दिया। इसके बाद नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सचिव को 8 सप्ताह के भीतर उचित जवाब देने का निर्देश दिया गया।

तद्नुसार मामले का निस्तारण किया गया।

केस का शीर्षक: बी रामकुमार आदित्यन बनाम सचिव

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