जूनागढ़ पिटाई: गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया, 17 जुलाई तक जवाब मांगा
गुजरात हाईकोर्ट ने बुधवार को जूनगढ़ भीड़ हिंसा और हिरासत में हिंसा करने के अन्य कृत्यों में शामिल कथित दंगाइयों की जूनागढ़ पुलिस द्वारा सार्वजनिक पिटाई की 16 जून की घटना की जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका (पीआईएल) पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एजे देसाई और जस्टिस बीरेन वैष्णव की पीठ ने राज्य सरकार को 17 जुलाई तक मामले में जवाब दाखिल करने को कहा।
लोक अधिकार मंच और अल्पसंख्यक समन्वय समिति द्वारा एडवोकेट आनंद जे. याग्निक के माध्यम से दायर जनहित याचिका में घटना के लिए जिम्मेदार पुलिस कर्मियों और अधिकारियों के खिलाफ और कथित तौर पर शामिल संदिग्धों की चल संपत्तियों में तोड़फोड़ और विनाश के लिए एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है।
गौरतलब है कि जूनागढ़ में स्थानीय नागरिक निकाय द्वारा कुछ इस्लामी धार्मिक स्थलों को इस आधार पर ध्वस्तीकरण नोटिस जारी किए जाने के बाद हिंसा भड़क उठी थी कि वे सार्वजनिक सड़कों पर अतिक्रमण कर रहे हैं।
उन्हें हिरासत में हिंसा और यातना का शिकार बनाया गया और उन्होंने मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष लिखित रूप में शिकायतें भी प्रस्तुत की। हालांकि, किशोर के माता-पिता ने बाद में उक्त शिकायतें वापस ले ली " संयोग से जेएमएफसी ने शिकायत वापस लेने की परिस्थितियों की जांच नहीं की और ऐसे आवेदन की वास्तविकता का पता नहीं लगाया। इसके अलावा जेएमएफसी ने यह पता लगाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया कि क्या इस तरह का आवेदन किशोरों और अन्य की स्वतंत्र इच्छा से वाप्स लिया गया है या जूनागढ़ पुलिस की धमकी और दबाव के तहत।" याचिका में कहा गया है इस पहलू पर पूछताछ और जांच की आवश्यकता है।
अपीयरेंस
आवेदकों के लिए वकील: ए जे याग्निक
उत्तरदाताओं के लिए वकील: सरकारी वकील मनीषा लवकुमार एजीपी केएम अंतानी के साथ
केस टाइटल - लोक अधिकार संघ बनाम गुजरात राज्य [रिट याचिका (पीआईएल) नंबर 61,/2023
आदेश की कॉपी डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें