लंबित मामलों पर इंटरव्यू देने न्यायाधीश का काम नहीं है: सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के जज अभिजीत गंगोपाध्याय से स्पष्टीकरण मांगा

Update: 2023-04-25 04:26 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के जज, जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय द्वारा पारित आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए मौखिक रूप से टिप्पणी की कि न्यायाधीशों को लंबित मामलों पर टीवी इंटरव्यू देने का कोई अधिकार नहीं है। उक्त आदेश में उन्होंने प्राथमिक शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी से पूछताछ करने के लिए सीबीआई और ईडी को निर्देश दिया था।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में जस्टिस गंगोपाध्याय द्वारा पारित निर्देशों के अनुसरण में बनर्जी के खिलाफ सभी कार्रवाइयों पर रोक लगाने का निर्देश दिया था।

बनर्जी की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत से एबीपी आनंद के साथ जस्टिस गंगोपाध्याय के इंटरव्यू को ध्यान में रखने का आग्रह किया, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर बनर्जी के खिलाफ बात की थी।

सिंघवी ने तर्क दिया,

"सबसे बड़े सम्मान और विनम्रता के साथ यह बस नहीं किया जा सकता है ... यह हमारे वकीलों की उपस्थिति में कहा गया। एकल न्यायाधीश ने बयान को स्पष्ट या रद्द नहीं किया।"

सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने बयान पढ़ने के बाद आदेश लिखवाते हुए स्पष्टीकरण मांगा कि क्या कथित बयान एकल न्यायाधीश द्वारा दिए गए थे या नहीं।

कोर्ट ने दिया आदेश,

"याचिकाकर्ता ने टीवी चैनल एबीपी आनंदा पर जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय के इंटर्व्यू के अनुवादित प्रतिलेख को संलग्न किया। कलकत्ता हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को न्यायाधीश से स्पष्ट करने का निर्देश दिया जाता है कि क्या सुमन डे ने उनका इंटरव्यू लिया था। इसके साथ ही कोर्ट ने शुक्रवार को या उससे पहले इस अदालत के समक्ष अपना हलफनामा दायर करने का निर्देश देते हुए कहा कि हम शुक्रवार को सूचीबद्ध करेंगे।"

सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि जबकि अदालत अभी तक मामले के गुण-दोष में नहीं पड़ रही है, यह जानना महत्वपूर्ण है कि क्या जस्टिस गंगोपाध्याय ने उक्त इंटरव्यू दिया था या नहीं।

उन्होंने कहा,

"मैं सिर्फ यह कहना चाहता हूं कि न्यायाधीशों का उन मामलों पर इंटरव्यू देने का कोई काम नहीं है, जो लंबित हैं। यदि उन्होंने याचिकाकर्ता के बारे में कहा है तो उन्हें कार्यवाही में भाग लेने का कोई अधिकार नहीं है। सवाल यह है कि क्या न्यायाधीश, जिसने किसी राजनीतिक शख्सियत के बारे में इस तरह के बयान दिए हैं - क्या उन्हें सुनवाई में भाग लेने की अनुमति दी जानी चाहिए? इसके लिए कुछ प्रक्रिया होनी चाहिए।"

केस टाइटल: अभिषेक बनर्जी बनाम सौमेन नंदी, डायरी नंबर 15883/2023

Tags:    

Similar News