क्या अर्धसैनिक बलों में अस्थिर दिमाग़ वाले लोगों के लिए जगह है? दिल्ली हाईकोर्ट ने इस्तीफ़ा वापस लेने की अर्ज़ी देने वाले अधिकारी से पूछा

Update: 2020-07-03 09:22 GMT

केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के अधिकारी की अपना इस्तीफ़ा वापस लेने संबंधी याचिका पर नोटिस जारी करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने एक सवाल पूछा कि क्या अर्ध सैनिक बलों में अस्थिर चित्त वाले लोगों की जगह है?

न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलव और न्यायमूर्ति आशा मेनन ने कहा कि प्रथम दृष्टया अर्ध सैनिक बलों के अधिकारियों को इस तरह छुट्टी पर जाने की इजाज़त नहीं होनी चाहिए।

पीठ ने नीरज कुमार उत्तम बनाम भारत संघ मामले में दायर रिट याचिका पर हुई सुनवाई में यह विचार व्यक्त किया। इस याचिका में सीआरपीएफ के एक अधिकारी ने उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें उसके इस्तीफ़े को स्वीकार कर लिया गया है और उसने अपना इस्तीफ़ा वापस लेने का भी आग्रह किया है।

याचिकाकर्ता ने कहा कि इस्तीफ़ा वापस लेने के उसके 8 मई 2018 के आग्रह पर लिए गए किसी निर्णय की उसे कोई जानकारी नहीं है और इस बारे में उसने 28 फ़रवरी 2020 को याद भी दिलाया था।

उसने आगे कहा कि सीसीएस (पेंशन) नियम, 1972 के नियम 26(4)(iii) के तहत अधिकारी ने अपना इस्तीफ़ा वापस लेने की अर्ज़ी दी, जो इस्तीफ़े के प्रभावी होने के 90 दिनों के भीतर के प्रावधान के अधीन था और उसे अपना इस्तीफ़ा वापस लेने का अधिकार है।

याचिकाकर्ता ने कहा कि असिस्टेंट कमांडेंट के रूप में उत्कृष्ट सेवा के बावजूद केंद्र ने इस्तीफ़ा वापस लेने के उसके आग्रह पर कोई जवाब नहीं दिया है।

इस बिंदु पर अदालत ने याचिककर्ता से पूछा क्या इस मामले में 27 नवंबर 2017 को इस्तीफ़ा देने और 1 मार्च 2018 से पहले मुक्त कर दिए जाने के उसके निर्णय को आवेगपूर्ण नहीं कहा जा सकता।

अदालत ने आगे कहा,

"…सेवा से दो वर्षों से अधिक समय तक अनुपस्थित रहने के बाद याचिकाकर्ता को कैसे दोबारा नौकरी पर वापस आने को कहा जा सकता है? क्या यह ऐसा नहीं है कि याचिककर्ता ने 8 मई 2018, को जब उसको अपना इस्तीफ़ा वापस लेने के निर्णय पर कोई उत्तर नहीं मिला, अदालत में जाने का फ़ैसला किया। इसके बाद भी दूसरा पत्र भेजने में उसने दो साल का वक्त लगाया"।

याचिकाकर्ता से इस तरह के प्रश्नों के बावजूद अदालत ने प्रतिवादी को नोटिस भेजा और अब इस मामले की सुनवाई 17 अगस्त को होगी।

आदेश की प्रति डाउनलोड करें



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