इंटरफेथ कपल- "ऐसा कोई सबूत नहीं पेश किया गया कि वह बालिग है और वैवाहिक जीवन चाहती है": इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महिला को सुरक्षा प्रदान करने से इनकार किया

Update: 2021-07-08 08:40 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को एक महिला / लड़की (एक हिंदू पुरुष से शादी करने का दावा करने वाली) के पक्ष में सुरक्षा आदेश पारित करने से इनकार कर दिया और कहा कि महीला ने ऐसा कोई दस्तावेजी सबूत पेश नहीं किया कि वह मुस्लिम धर्म से संबंधित है और वह अब हिंदू धर्म अपनाना चाहती है।

यह देखते हुए कि याचिका में यह भी नहीं दिखाया गया है कि कपल बालिग हैं, न्यायमूर्ति डॉ कौशल जयेंद्र ठाकर की खंडपीठ ने आगे कहा कि इस बात का कोई संकेत नहीं था कि पक्षकार वैवाहिक जीवन चाहते हैं।

कोर्ट ने कहा कि,

"इसमें कोई संदेह नहीं है कि जाति व्यवस्था मौजूद है, लेकिन यह कहीं भी नहीं कहा गया है कि वे पति-पत्नी के रूप में रहना चाहते हैं।"

अदालत ने यह भी ध्यान में रखा कि पहले से ही उस व्यक्ति के खिलाफ आईपीसी की धारा 363 और धारा 366 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है, जिसके साथ उसने शादी करने का दावा किया है।

सत्र न्यायाधीश, आगरा द्वारा उस व्यक्ति को पहले ही जमानत दी जा चुकी है। हालांकि, याचिकाकर्ता द्वारा याचिका को खारिज करने के लिए दायर याचिका को डिवीजन बेंच (इलाहाबाद उच्च न्यायालय) के फैसले से खारिज कर दिया गया था।

कोर्ट ने कहा कि तथ्य यह है कि वह बालिग है, लेकिवॉन डिवीजन बेंच के फैसले से यह पता नहीं चला, जब रद्द करने की याचिका दायर की गई थी।

यह देखते हुए कि केवल आधार कार्ड के आधार पर, न्यायालय यह नहीं कह सकता कि लड़की बालिग है।

न्यायालय ने टिप्पणी की कि,

"याचिकाकर्ता यदि चाहते तो मुस्लिम विवाह या हिंदू विवाह अधिनियम के तहत विवाह में प्रवेश करते।"

कोर्ट ने निर्देश दिया कि अगर याचिकाकर्ता सभी पुख्ता सबूतों के साथ पुलिस अधिकारियों के पास जाते हैं और अगर पुलिस अधिकारियों को लगता है कि उनके जीवन को कोई वास्तविक खतरा है तो पुलिस अधिकारी उन्हें सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं।

कोर्ट ने कहा कि न्यायालय सुरक्षा प्रदान करने के विरुद्ध नहीं है। न्यायालय ने याचिका को खारिज कर दिया क्योंकि इसमें इन सभी विवरणों का अभाव था और इसलिए सुरक्षा प्रदान करने का आदेश पारित नहीं किया जा सकता।

इन टिप्पणियों के साथ याचिका खारिज कर दी गई।

केस का शीर्षक - शिवानी @सकीना बनाम उत्तर प्रदेश एंड तीन अन्य

आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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