हिसाब किताब टिप्पणी केस - इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विधायक अब्बास अंसारी के खिलाफ कार्यवाही रद्द करने की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिसाब-किताब टिप्पणी मामले में जेल में बंद नेता मुख्तार अंसारी के बेटे और मऊ सदर के विधायक अब्बास अंसारी की याचिका खारिज करते हुए आपराधिक कार्यवाही में मंगलवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने अंसारी और राज्य सरकार के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद आज फैसला सुरक्षित रख लिया।
अंसारी के खिलाफ मामला मार्च 2022 में मऊ जिले में एक सार्वजनिक रैली में सरकारी अधिकारियों को धमकी देने वाले कथित बयान से संबंधित है, जिसमें अंसारी ने कथित रूप से अधिकारियों को धमकी दी थी कि अगर राज्य में एसपी-एसबीएसपी गठबंधन की सरकार बनती है तो हिसाब किताब किया जाएगा।
मामले की पृष्ठभूमि
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP)-समाजवादी पार्टी गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में यूपी विधानसभा चुनाव लड़ने और जीतने वाले अब्बास अंसारी ने कथित तौर पर एक सार्वजनिक रैली में कहा था कि राज्य में सरकार बनाने के बाद किसी भी सरकारी अधिकारी का पहले छह महीनों तक तबादला नहीं किया जाएगा, क्योंकि उन्हें अधिकारियों से हिसाब किताब बराबर करना है।
सरकारी अधिकारियों के खिलाफ उनकी कथित टिप्पणी के संबंध में, उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 171F [चुनाव में अनुचित प्रभाव या व्यक्तित्व के लिए सजा] और धारा 506 [आपराधिक धमकी के लिए सजा] के तहत एक एफआईआर दर्ज की गई थी।
आरोप पत्र को रद्द करने की मांग को लेकर अंसारी ने हाईकोर्ट का रुख किया था।
अंसारी के वकील ने अदालत के समक्ष तर्क दिया कि धारा 171F के तहत अपराध गैर-संज्ञेय है और धारा 171F के परिणामस्वरूप धारा 506 जोड़ी गई थी। आगे यह तर्क दिया गया कि चूंकि स्थानीय पुलिस याचिकाकर्ताओं को गिरफ्तार करना चाहती थी, इसलिए अंसारी के खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए जैसे अधिक गंभीर अपराध जोड़े गए।
याचिकाकर्ताओं के वकील द्वारा आगे तर्क दिया गया कि भारत के चुनाव आयोग ने सार्वजनिक मंच पर उनके द्वारा दिए गए बयान के लिए याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने के लिए कोई निर्देश या सिफारिश जारी नहीं की थी।
अंसारी की ओर से एडवोकेट उपेंद्र उपाध्याय पेश हुए।
केस टाइटल - अब्बास अंसारी और अन्य बनाम यूपी राज्य और 2 अन्य [सीआआरपीसी की धारा 482 के तहत आवेदन 25838/2022