ज़रीली शराब त्रासदी: गुजरात हाईकोर्ट ने अमोस के एमडी और 3 निदेशकों को अग्रिम जमानत दी

Update: 2022-09-21 06:24 GMT

गुजरात हाईकोर्ट ने जुलाई 2022 की ज़हरीली शराब त्रासदी में फंसे आमोस कॉर्पोरेशन के चार निदेशकों और एक कर्मचारी को अग्रिम जमानत दे दी।

कंपनी के अधिकृत कर्मचारी जयेश खवड़िया ने कथित तौर पर कंपनी से 600 लीटर मिथाइल अल्कोहल चुरा लिया था और अंततः उसे बूटलेगर्स को सप्लाई कर दिया। नकली देशी शराब ने 46 लोगों की जान ले ली और 82 लोग बीमार हो गए।

हाईकोर्ट ने कहा कि कोई स्पष्ट कार्य या अवैध चूक नहीं है, जिसके लिए आवेदकों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। हो सकता है कि वे उक्त जयेश के साथ संलिप्त न हों।

जस्टिस निखिल करियल की खंडपीठ ने आगे कहा कि चूंकि विचाराधीन उत्पाद से निपटने का लाइसेंस निलंबित/रद्द कर दिया गया है, इसलिए संबंधित अपराधों की पुनरावृत्ति की कोई संभावना नहीं है।

गौरतलब है कि कंपनी ने पीड़ित परिवारों को 2.20 करोड़ रुपये के मुआवजे की पेशकश की थी। हालांकि, कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि राहत देने के लिए उक्त कारक का इससे कोई लेना-देना नहीं है।

आवेदकों में से एक प्रबंध निदेशक, तीन निदेशक और कंपनी का कर्मचारी होने के नाते भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302, 328, 120 बी और गुजरात निषेध अधिनियम की धारा 302, 328, 120 बी और 65 (ए) और 67-1 ए के तहत अपराधों के लिए दर्ज तीन एफआईआर के तहत मामला दर्ज किया गया।

यह तर्क दिया गया कि अधिनियम की धारा 302 का आह्वान गलत है, क्योंकि ऐसा कोई आरोप एमडी की गतिविधियों से संबंधित नहीं है। इसी तरह अधिनियम की धारा 304 लागू नहीं की जा सकती, क्योंकि अधिनियम मौत का कारण बनने के इरादे से नहीं किया गया। वकील ने तर्क दिया कि निदेशकों और एमडी को 'अनावश्यक रूप से' गिरफ्तार किया गया, क्योंकि यह नहीं दिखाया गया कि उन्हें इस बात की जानकारी थी कि मिथाइल अल्कोहल की बिक्री से मृत्यु हो सकती है। इसके अलावा मद्य निषेध अधिनियम की धारा 79 जिसमें प्रतिवर्ती दायित्व लगाया गया, यह लागू नहीं, क्योंकि सभी उचित सावधानी बरती गई और संबंधित कर्मचारी पहले से ही जेल में हैं। इसके अतिरिक्त, सभी प्रासंगिक दस्तावेजी साक्ष्य जब्त कर लिए गए और आवेदकों के पास कोई दस्तावेज नहीं मिला।

प्रतिवादी एपीपी ने जोर देकर कहा कि कथित अपराध गंभीर है और इस बात का कोई सबूत नहीं कि कारखाने के परिसर से मिथाइल अल्कोहल की चोरी की गई या आवेदकों ने चोरी के खिलाफ कोई कार्रवाई की। इसके अलावा, कंपनी से भेजी गई मात्रा और प्राप्त मात्रा की तुलना में लगभग 2,600 लीटर मिथाइल अल्कोहल की कमी है। कंपनी के लाइसेंस ने पेय बनाने या पेय के साथ मिश्रण करने के लिए मिथाइल अल्कोहल के उपयोग को स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित कर दिया। यह भी प्रस्तुत किया गया कि इस समय जांच जारी है और आवेदकों के खिलाफ आरोप की प्रकृति अभी तक स्पष्ट नहीं है।

हाईकोर्ट ने धारा 302 के मुद्दे को संबोधित करते हुए कहा:

"जहां तक ​​आवेदकों का संबंध है, यह प्रथम दृष्टया इस न्यायालय को प्रतीत होता है कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 के तहत अपराध करने का आरोप लगाने के लिए कोई सामग्री नहीं है ... ऐसा प्रतीत होता है कि संपूर्ण ऑपरेशन यानी ऑटो-रिक्शा को कॉल करना, ऑटो लोड करना- रिक्शा, सामग्री को गंतव्य स्थान पर ले जाना और सामग्री सौंपना और नकद लेना जयेश द्वारा किया गया।"

जस्टिस करील ने धारा 304 के मुद्दे के संबंध में समझाया:

"ऐसा प्रतीत होता है कि मौत का कारण बनने के इरादे से किए गए वर्तमान आवेदकों के लिए कोई स्पष्ट कार्य नहीं है, यहां तक ​​​​कि किसी विशेष कार्य को न करने की चूक के रूप में प्रथम दृष्टया ऐसा कोई इरादा प्रतीत नहीं होता है, जिसे वर्तमान आवेदकों के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।"

निषेध अधिनियम की धारा 79 की प्रयोज्यता के संबंध में न्यायालय ने कहा कि अधिनियम के तहत वास्तविक अपराधी को छोड़कर किसी भी व्यक्ति को कारावास की सजा की परिकल्पना नहीं की गई है।

जस्टिस करील को इस बात की कोई आशंका नहीं कि आवेदक गवाहों के साथ छेड़छाड़ करेंगे। यद्यपि बड़ी संख्या में मौतें हुई हैं, यह नहीं कहा जा सकता कि आवेदकों ने ऐसा करने के लिए कोई प्रत्यक्ष कार्य किया है। नतीजतन, हाईकोर्ट ने प्रत्येक आरोपी को एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर और इतनी ही राशि की जमानत के साथ आवेदकों के साथ अग्रिम जमानत दे दी।

केस नंबर: आर/सीआर.एमए/15105/2022

केस टाइटल: चंदूभाई फकीरभाई पटेल बनाम गुजरात राज्य

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