मैसूर विश्वविद्यालय में आज़ाद कश्मीर का प्लैकर्ड : बार एसोसिएशन ने इस मामले में आरोपी की पैरवी नहीं करने का प्रस्ताव पास किया

Update: 2020-01-18 04:30 GMT

मैसूर बार एसोसिएशन ने 14 जनवरी को एक प्रस्ताव पास किया कि नलिनी बालकुमार का अदालत में बचाव कोई वकील नहीं करेगा। नलिनी ने मैसूर विश्वविद्यालय में 8 जनवरी को हुए प्रदर्शन में 'फ़्री कश्मीर' का प्लैकर्ड उठाया था।

बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एस आनंद कुमार ने इस बात की फ़ोन पर पुष्टि की कि इस तरह का प्रस्ताव पास हुआ है। उन्होंने कहा, "कुछ वकीलों की सलाह पर  एसोसिएशन ने यह प्रस्ताव पास किया है कि कोई भी सदस्य विशेषकर उस महिला की अदालत में पैरवी नहीं करेगा।"  एसोसिएशन के सदस्यों की संख्या 3000 से अधिक है।

इस प्रस्ताव के प्रत्युत्तर में बेंगलुरु के वकीलों के एक समूह ने विरोध किया है। एक बयान जारी कर इन वकीलों ने कहा है कि "हम एसोसिएशन के इस निर्णय की निंदा करते हैं क्योंकि यह बार काउन्सिल ऑफ़ इंडिया के न केवल नियमों की बल्कि पेशे की नैतिकता और वकीलों के कर्तव्य के ख़िलाफ़ है और संविधान के मूल्यों के विपरीत। हर व्यक्ति को अदालत में प्रतिनिधित्व किए जाने का अधिकार है और इसको रोकने या इस अधिकार में बाधा पहुँचाना संविधान के विचार पर हमला है।

इस बयान में यह भी कहा गया है कि एएस मोहम्मद रफ़ी बनाम तमिलनाडु राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह के प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया था और कहा था कि ऐसा करना संविधान के हरेक नियम और क़ानून के साथ-साथ उसकी नैतिकता के ख़िलाफ़ है। 

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