ईद और परशुराम जयंती समारोह- 'मॉब लिंचिंग, सांप्रदायिक अशांति से बचने के लिए पर्याप्त कदम उठाए हैं, पुलिस बल सतर्क रहेंगे': गुजरात सरकार ने हाईकोर्ट को बताया

Update: 2023-04-22 09:39 GMT

गुजरात हाईकोर्ट ने शुक्रवार को गुजरात सरकार की इस दलील पर संतोष व्यक्त किया कि उसने त्योहारों के दौरान मॉब लिंचिंग या सांप्रदायिक अशांति से बचने के लिए पर्याप्त कदम उठाए हैं और पुलिस ऐसे त्योहारों के दौरान सतर्क रहेंगी।

उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत अपने हलफनामे में, राज्य सरकार ने प्रस्तुत किया कि उसने अन्य बातों के साथ-साथ लाउडस्पीकरों और डीजे के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है।

महत्वपूर्ण क्षेत्रों को कवर करने वाले पुलिस गश्त को बढ़ाने, वाहनों, लाठी-हेलमेट, बॉडी प्रोटेक्टर्स, आंसू गैस के गोला-बारूद, रबर की गोलियों, वरुण (पानी की तोप), वज्र (स्वचालित आंसू धुआं लॉन्च वाहन), किसी भी घटना का जवाब देने और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पीएसआई/पीआई/उप पुलिस अधीक्षक/एसपी के नेतृत्व में संचार प्रणाली) से सुसज्जित रणनीतिक स्थानों पर रिजर्व रखने सहित कई अन्य प्रस्तुतियां भी की गईं।

एक्टिंग चीफ जस्टिस एजे देसी और जस्टिस बीरेन वैष्णव की खंडपीठ ने सुरक्षा व्यवस्था को संतोषजनक पाते हुए भविष्य में राज्य में मनाए जाने वाले अन्य त्योहारों के लिए भी इसी प्रकार के निर्देश/सुरक्षा व्यवस्था जारी करने का निर्देश राज्य सरकार को दिया।

इसके साथ, अदालत ने राज्य में हिंसा की किसी भी घटना को रोकने के लिए 22 अप्रैल को आने वाले ईद और परशुराम जयंती से पहले धार्मिक जुलूसों के दौरान कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की मांग करने वाली जनहित याचिका का निस्तारण कर दिया।

गौरतलब हो कि 17 अप्रैल को मामले की सुनवाई करते हुए गुजरात सरकार ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जनहित याचिका पर जवाब मांगा था। उसी के जवाब में, राज्य सरकार ने शुक्रवार को प्रस्तुत किया कि वह इस तथ्य से अवगत है कि विभिन्न धर्मों के लोगों द्वारा पूरे वर्ष में कई त्योहार मनाए जाते हैं और इसलिए सभी पुलिस स्टेशनों को एहतियाती उपाय करने के लिए सूचित किया गया है।

राज्य ने यह भी प्रस्तुत किया कि राज्य प्राधिकरण न केवल स्थानीय पुलिस को तैनात कर रहे हैं, बल्कि वे राज्य रिजर्व पुलिस बल (एसआरपीएफ) से सहायता ले रहे हैं और इस तरह के त्योहारों के दौरान शांति बनाए रखने में मदद करते हैं।

राज्य द्वारा उच्च न्यायालय को आगे सूचित किया गया कि उसने राज्य भर में विभिन्न स्थानों पर कैमरे लगाए हैं और समागम स्थलों को भी चिह्नित किया है और यहां तक कि साइबर अपराध पुलिस स्टेशनों की मदद से सोशल मीडिया की निगरानी भी की जा रही है।

न्यायालय को इस तथ्य से भी अवगत कराया गया कि संबंधित अधिकारियों को बॉडी वेर्न कैमरे जारी किए जाएंगे और संबंधित पुलिस स्टेशनों पर अतिरिक्त वीडियोग्राफरों को भी अनुमति दी गई है जहां इस तरह के त्योहार मनाए जाते हैं और संबंधित शहर और कस्बों में सड़कों पर जुलूस या सभाएं होती हैं।

अंत में, राज्य सरकार ने न्यायालय को आश्वासन दिया कि राज्य प्राधिकरण पूरे जुलूस के दौरान और विशेष रूप से शहर या कस्बे की सड़कों पर जुलूस निकालने पर बल को सतर्क रखेंगे।

ये भी कहा गया कि तहसीन पूनावाला बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुपालन में गुजरात राज्य के पुलिस महानिदेशक द्वारा फील्ड इकाइयों को मॉब लिंचिंग और हिंसा को रोकने के लिए विस्तृत निर्देश दिए गए हैं।

अदालत को आगे बताया गया कि अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, सीआईडी (अपराध और रेलवे), गुजरात राज्य को राज्य स्तरीय नोडल अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया है और पुलिस आयुक्तों/पुलिस अधीक्षकों को शहर/जिला नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है, जिन पर खुफिया जानकारी एकत्र करने, निवारक उपाय करने और हिंसा की घटनाओं पर प्रतिक्रिया देने की जिम्मेदारी होगी।

यह भी प्रस्तुत किया गया कि सभी पुलिस अधीक्षक (कानून और व्यवस्था), गुजरात राज्य को सभी शहर/जिला/जीआरपी इकाइयों को स्थानीय आवश्यकताओं के आधार पर सुरक्षा व्यवस्था करने के निर्देश के साथ संचार भेजा गया है।

राज्य सरकार के आश्वासन के बाद कोर्ट गुजरात सरकार की सुरक्षा व्यवस्था से संतुष्ट था और इसलिए, कोर्ट ने याचिका का निस्तारण कर दिया।

केस टाइटल - अज़जखान हमीदखान पठान बनाम गुजरात राज्य [रिट याचिका (पीआईएल) सं. 38 ऑफ 2023]

आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें:




Tags:    

Similar News