लोगों की मौजूदगी को जितना भी संभव हो, कम करने की कोशिश हो रही है, बॉम्बे हाईकोर्ट ने दीर्घ अवधि तक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए राज्य से की फंड की मांग
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि अदालत में लोगों की मौजूदगी को समाप्त करने की कोशिश की जा रही है। अदालत ने यह भी कहा है कि COVID-19 के इस दौर में लोगों को न्याय की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए काफ़ी क़दम उठाए गए हैं और इनमें से एक है वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई करना।
प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, "मुंबई में एक प्रक्रिया विकसित की गई है और इसको परखा जा रहा है कि किसी को भी न्यायिक प्रक्रिया में भाग लेने केली अपने घर से नहीं निकलना पड़े।
मुंबई जैसे शहर के लिए यह बहुत ज़रूरी है क्योंकि यहाँ सामाजिक दूरी बनाए रखते हुए एक जगह से दूसरे जगह जाना बहुत ही मुश्किल होता है। हाईकोर्ट की नागपुर, औरंगाबाद और गोवा हाईकोर्ट में वीडियो कंफ्रेंसिंग की वैसी ही सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है जैसे सुप्रीम कोर्ट में। महाराष्ट्र और गोवा की ज़िला अदालतों में भी इसी तरह की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। व्यवस्था को दुरुस्त करने की कोशिश की जा रही है ताकि लोगों को जहाँ तक संभव हो अदालत नहीं आना पड़े।"
बॉम्बे हाईकोर्ट लंबी अवधि के लिए भी ऐसी व्यवस्था करना चाहती है और इसके लिए राज्य सरकार से ज़रूरी वित्तीय मदद की माँग की गई है।
गुरुवार को हाईकोर्ट ने विशेष रूप से वीडियो कंफ्रेंसिंग के ज़रिए होनेवाली सुनवाई की प्रक्रिया को स्पष्ट किया। मुख्य न्यायाधीश जिस जज को नामित करेंगे वह बहुत ही ज़रूरी मामले की सुनवाई वीडियो कंफ्रेंसिंग के ज़रिए हर कार्य दिवस को दोपहर को 12 से 2 बजे के बीच करेंगे।
जिन वकीलों को जिस ज़रूरी नए मामलों को सुनवाई के लिए अदालत के समक्ष रखना है वे अदालत की फ़ीस का भुगतान ऑनलाइन करेंगे और इसके लिए सरकारी रसीद खाता व्यवस्था (जीआरएएस) का प्रयोग किया जा सकता है।