दिल्ली हाईकोर्ट ने गंगा राम अस्पताल के खिलाफ दिल्ली सरकार द्वारा दर्ज एफआईआर में कार्रवाई करने पर रोक लगाई
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली के गंगा राम अस्पताल के खिलाफ COVID19 मानदंडों का उल्लंघन करने के आरोप में दर्ज एफआईआर में कार्रवाई करने पर सोमवार को रोक लगा दी।
न्यायमूर्ति हरि शंकर की एकल पीठ ने अस्पताल के खिलाफ उक्त प्राथमिकी से उत्पन्न जांच और कार्यवाही दोनों पर रोक लगा दी।
यह आदेश गंगा राम अस्पताल द्वारा महामारी रोग COVID19 विनियम 2020 के कथित उल्लंघन के लिए दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा दायर एक प्राथमिकी से उत्पन्न होने वाली कार्रवाई को समाप्त करने के लिए गंगा राम अस्पताल की ओर से दायर एक याचिका में आया है।
एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि अस्पताल महामारी रोग COVID 19 विनियमन, 2020 के उल्लंघन के आंकड़ों के परीक्षण के लिए RT-PCR ऐप का उपयोग करने के निर्धारित मानक का पालन नहीं कर रहा है।
याचिका में गंगा राम अस्पताल ने कहा था,
" याचिकाकर्ता अस्पताल सहित अस्पताल स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की रीढ़ हैं और अक्सर इसे COVID 19 के सामने "फ्रंट-लाइन COVID योद्धाओं" के रूप में संदर्भित किया जाता है। प्रतिवादी का याचिकाकर्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने का अवैधानिक कृत्य COVID-19 के इस मुश्किल समय में याचिकाकर्ता को दंड देने और धमकी देने जैसा है। इसके अलावा, यह याचिकाकर्ता की 1954, जब यह लाहौर से अपने वर्तमान स्थान पर स्थापित किया गया, तब से स्वास्थ्य सेवाओं में योगदान और हज़ारों जानें बचाकर प्र्मुख चिकित्सा सुविधाओं वाले संस्थान की छवि को धूमिल करने वाला कार्य है। "
यह कहते हुए कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता के तहत निर्धारित नियमों का पालन करते हुए IPC की धारा 188 के तहत एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी, याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि उन रोगियों के डेटा को प्रेषित करने के लिए जिनके नमूने COVID- 19 परीक्षण के लिए याचिकाकर्ता द्वारा एकत्र किए गए थे, उनके विषय में, ICMR या दिल्ली सरकार द्वारा पारित आदेशों की जानबूझकर अवज्ञा करने का कोई आरोप नहीं है।
याचिकाकर्ता द्वारा आगे प्रस्तुत किया गया कि यह केवल डेटा जमा करने की प्रकृति के आधार पर भिन्न है और एफआईआर कहीं भी साबित नहीं करती कि याचिकाकर्ता द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए जोखिम पैदा करने की चिंता के बीच लिंक है।