बॉम्बे हाईकोर्ट ने सेबी के लिए अलग लीगल एड पैनल की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार किया
बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड में मामलों के लिए वकीलों के एक अलग पैनल की मांग करने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि मामला सीधे महाराष्ट्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण या जिम्मेदार प्राधिकरण से संपर्क किए बिना दायर किया गया है।
एक्टिंग चीफ जस्टिस एस. वी. गंगापुरवाला और जस्टिस संदीप वी. मार्ने की खंडपीठ ने यह बात कही।
बेंच ने कहा,
"जनहित याचिका पर तब तक विचार नहीं किया जा सकता जब तक कि संबंधित अधिकारियों ने याचिकाकर्ता के कारण पर विचार करने से इनकार नहीं किया है। रिकॉर्ड में हम यह नहीं पाते हैं कि किसी विशेष व्यक्ति ने कानूनी सहायता के लिए प्रतिवादी संख्या 2 से संपर्क किया था और उसे मना कर दिया गया था। उस संबंध में विशिष्ट अभिवचनों के अभाव में, वर्तमान जनहित याचिका में आदेश पारित करना उचित नहीं होगा।"
सेबी ने पहले एक हलफनामा दायर किया था जिसमें कहा गया था कि कानूनी कार्यवाही के लिए कानूनी सहायता के संबंध में आईपीईएफ विनियम और दिशानिर्देश 2009 से अस्तित्व में हैं। इसके अलावा, यह कहा गया है कि जब भी आवश्यकता होती है कानूनी सहायता प्रदान की जाती है।
प्रशांत त्रिवेदी द्वारा दायर जनहित याचिका में भारत सरकार और सेबी के खिलाफ कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए एक पैनल/वकीलों की सूची नियुक्त करने और बनाए रखने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी।
याचिकाकर्ता ने सेबी को प्रत्येक कारण बताओ नोटिस/समन/आदेश में नोटिस प्राप्त करने वालों को उपलब्ध कानूनी प्रतिनिधित्व के अधिकार के बारे में उल्लेख करने के लिए निर्देश देने की भी मांग की।
याचिकाकर्ता ने खुद का प्रतिनिधित्व किया जबकि एडवोकेट अनुभा रस्तोगी सेबी के लिए पेश हुईं।
मामला संख्या - पीआईएल/103/2022
केस टाइटल - प्रशांत त्रिवेदी बनाम भारत सरकार और अन्य।
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