एक व्यक्ति अपनी पांच गायों के इलाज की गुहार लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, अदालत ने दिया यह फैसला

Update: 2019-11-07 08:28 GMT

भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत एक रिट याचिका को मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए दायर की जाती है लेकिन सुप्रीम कोर्ट में कई बार कुछ छोटे मामलों के लिए रिट याचिका का दायर की जाती है। ऐसा ही एक मामला सुप्रीम कोर्ट में आया है।

बिहार के एक व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक रिट याचिका दायर की, जिसमें मुख्य प्रार्थना उसकी पांच गायों को चिकित्सा सहायता प्रदान करने की गई थी। कुणाल कुमार खुद ही अपना मामला लेकर अदालत में पेश हुए, जिन्हें अदालत ने बताया कि इस तरह की याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता है।

न्यायमूर्ति आर बनुमथी और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह उचित मंच के समक्ष अपनी समस्या रखे। यह कहते हुए अदालत ने रिट याचिका खारिज कर दी।

इस तरह के छोटे मामलों में जब वकीलों के माध्यम से याचिका दायर की जाती है तो सुप्रीम कोर्ट उन्हें फटकार लगाती है। उदाहरण के लिए फूलचंद्र और एक अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य, (2014) 13 एससीसी 112, के मामले मेें अदालत ने कहा कि

"हाल ही में इस अदालत सहित अदालतों में इस तरह के मुकदमों की प्रवृत्ति में वृद्धि हुई है। इस प्रकार के मामलों में अदालत का समय और सार्वजनिक धन की बर्बादी होती है। ऐसे सभी मामलों की बारीकी से जांच करने पर पता चलेगा कि मामला दर्ज करने का कोई औचित्य भी नहीं था।

यह अफ़सोस की बात है कि कोर्ट का समय जो बहुत से बकाया मामलों के कारण बहुत कीमती होता जा रहा है, ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए समय बर्बाद करना पड़ता है। इस तरह के तुच्छ मुकदमेबाजी पर रोक लगाने की तत्काल आवश्यकता है।

शायद ऐसे कई मामलों से बचा जा सकता है यदि वकील जो अदालत के अधिकारी हैं, उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे अपने क्लाइंट को उचित सलाह देकर अदालत का समय बचाएं। इस राष्ट्र के न्यायाधीश त्वरित न्याय की समस्या से निपटने के लिए बाधाओं के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। लेकिन, बार काउंसिल के सहयोग के बिना कुछ भी नहीं किया जा सकता है।"

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