हम पहले से ही कार्यपालिका पर हस्तक्षेप के आरोपों का सामना कर रहे हैं, सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा?

'राज्य में केंद्र सरकार की कार्रवाई की मांग करने वाली याचिका का उल्लेख किए जाने पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति को निर्देश देने पर हाल ही में हुए विवाद का परोक्ष रूप से उल्लेख किया।
एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह खंडकी पीठ के समक्ष उक्त याचिका का उल्लेख किया था। याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार को संविधान के अनुच्छेद 355 के अनुसार पश्चिम बंगाल राज्य में बाहरी आक्रमण और आंतरिक अशांति के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश देने की मांग की। बता दें, राज्य में यह अशांति वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा के मद्देनजर हुई थी।
जैन ने याचिका में आवेदन दायर करने की स्वतंत्रता मांगी, जिसे मंगलवार को सूचीबद्ध किया गया। उन्होंने कहा कि राज्य में केंद्रीय बलों को तैनात करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही कुछ अतिरिक्त तथ्यों को रिकॉर्ड पर लाने के लिए आवेदन दायर करने की अनुमति मांगी।
याचिकाकर्ता को आवेदन दाखिल करने की अनुमति देते हुए जस्टिस गवई ने कहा कि न्यायालय पर पहले से ही विधायी और कार्यकारी क्षेत्रों में दखलंदाजी के आरोप लगे हैं।
जस्टिस गवई ने कहा,
"आप चाहते हैं कि हम संघ को निर्देश देने के लिए आदेश जारी करें..? वैसे भी हम पर संसदीय और कार्यकारी कार्यों में दखलंदाजी करने का आरोप है।"
जस्टिस गवई हाल ही में विधेयकों को समय पर मंजूरी देने के लिए राष्ट्रपति को दिए गए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर उठे विवाद का जिक्र कर रहे थे। पिछले सप्ताह उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रपति को दिए गए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश की कड़ी आलोचना की थी।