न्यायाधीशों का स्थानांतरण उनके विरूद्ध शिकायतों का समाधान नहीं : न्यायमूर्ति चंद्रचूड़
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायाधीशों का स्थानांतरण, उनके खिलाफ शिकायतों का समाधान नहीं है। इंडियन एक्सप्रेस ने जस्टिस चंद्रचूड़ के हवाले से कहा, "महाभियोग और स्थानांतरण के बीच कुछ भी नहीं है। हमें एक ऐसी प्रणाली की आवश्यकता है, जो वर्तमान प्रणाली की तुलना में न्यायाधीशों को जवाबदेह बनाने के लिए अधिक बारीक हो।"
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की यह टिप्पणी मद्रास उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश वी के ताहिलरामनी के इस्तीफे के मद्देनजर महत्वपूर्ण है। मद्रास उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश वी के ताहिलरामनी का स्थानांतरण मेघालय उच्च न्यायालय कर दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ शिकागो विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर टॉम गिंसबर्ग की पुस्तक "हाउ टू सेव ए कॉन्स्टीट्यूशनल डेमोक्रेसी" के लॉन्च समारोह में बोल रहे थे। जस्टिस चंद्रचूड़ ने जजों की सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाने और बैकलॉग की समस्या से निपटने के लिए एडहॉक न्यायाधीशों की नियुक्ति के पक्ष में भी बात की।
उन्होंने कहा, "मुझे हाईकोर्ट में एडहॉक न्यायाधीशों को नियुक्त नहीं करने का कोई कारण दिखाई नहीं देता। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट में जब केशवानंद भारती मामले की सुनवाई चल रही थी, तब कोर्ट के प्रतिदिन के काम के लिए तीन एडहॉक न्यायाधीश थे।"
उन्होंने कहा, "यदि आप 65 साल की उम्र तक सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में सेवा कर सकते हैं तो आप केवल 62 साल की उम्र तक ही हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में सेवा क्यों देते हैं।"
उन्होंने कहा, "आपको अपने न्यायाधीशों पर भरोसा करने की आवश्यकता है। हमें एक अधिक संतुलित प्रक्रिया की आवश्यकता है, लेकिन उस प्रक्रिया के अंतिम परिणाम पर सवाल नहीं उठाया जा सकता।" उन्होंने न्यायाधीशों पर उनके फैसलों के लिए व्यक्तिगत हमले की आलोचना की।