सुप्रीम कोर्ट ने 80 साल से अधिक उम्र के कैदियों की समयपूर्व रिहाई की नीति पर यूपी सरकार से जवाब मांगा
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है कि क्या राज्य के पास 80 वर्ष या उससे अधिक उम्र के कैदियों की समयपूर्व रिहाई पर विचार करने के लिए कोई मौजूदा नीति है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश, एन.वी. रमाना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड पी.वी. योगेश्वरन ने बताया कि याचिकाकर्ता की उम्र वर्तमान में 80 वर्ष है।
खंडपीठ ने कहा कि अपराध वर्ष 1985 में किया गया था और लंबे समय तक चलने वाले ट्रायल के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष अपील में अंतिम आदेश केवल वर्ष 2019 में पारित किया गया था।
बेंच ने मामले के अजीबोगरीब तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए यूपी राज्य को यह जांचने के लिए एक सीमित नोटिस जारी किया कि क्या राज्य के पास इस मुद्दे को हल करने के लिए कोई मौजूदा नीति है।
मामले की तात्कालिकता को ध्यान में रखते हुए बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार का जवाब मिलते ही रजिस्ट्री को इसे सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।
केस का नाम: केदार यादव बनाम यूपी राज्य।
केस नंबर और तारीख: 2021 की स्पेशल लीव पिटीशन (आपराधिक) डायरी नंबर 6164 | 6 जनवरी 2022
कोरम: भारत के मुख्य न्यायाधीश, एन.वी. रमाना न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति हेमा कोहली
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