सुप्रीम कोर्ट ने एक वकील के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की याचिका पर सुनवाई से इनकार किया, याचिकाकर्ता को बार काउंसिल से संपर्क करने को कहा

Update: 2022-08-06 07:26 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस याचिका को वापस लेने की छूट दे दी, जिसमें अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के तहत पेशेवर कदाचार के लिए एक सीनियर एडवोकेट के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया को निर्देश देने की मांग की गई थी।

जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस रवींद्र भट और जस्टिस सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने मामले को वापस लेने की स्वतंत्रता दी।

सुनवाई के दौरान पीठ ने याचिकाकर्ताओं से पूछा,

"इस मामले में अपीलीय प्राधिकरण में बार काउंसिल ऑफ इंडिया है। फिर आप अनुच्छेद 32 याचिका के माध्यम से न्यायालय के सामने क्यों आए हैं?"

याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया और बार काउंसिल ऑफ पंजाब एंड हरियाणा ने प्रतिवादी नंबर 3 (एक सीनियर एडवोकेट) के खिलाफ अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 35 के तहत कार्रवाई करने से इनकार कर दिया था। उनके खिलाफ शिकायत यह थी कि वह एक विशेष अनुमति याचिका में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक हैंड राइटिंग एक्सपर्ट (हस्तलेखन विशेषज्ञ) की मनगढ़ंत और कपटपूर्ण रिपोर्ट दाखिल करके घोर कदाचार में लिप्त थे।

सुप्रीम कोर्ट ने 2005 में मनगढ़ंत और कपटपूर्ण रिपोर्ट के आधार पर वर्तमान याचिकाकर्ता के पिता द्वारा दायर एसएलपी खारिज कर दी थी।

जब अदालत वकील के जवाब से असंतुष्ट थी, तो उसने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी।

केस टाइटल : रवजोत सिंह बनाम बार काउंसिल ऑफ इंडिया

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