क्या सामूहिक धर्मांतरण के जरिए 'भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने' के आरोपी की हिरासत जारी रखना जरूरी है? सुप्रीम कोर्ट ने यूपी एटीएस से पूछा
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को उत्तर प्रदेश के आतंकवाद निरोधी दस्ते से पूछा कि क्या लोगों को अवैध रूप से इस्लाम कबूल कराने के आरोप में गिरफ्तार किए गए इरफान शेख की हिरासत जारी रखना जरूरी है।
केंद्र सरकार के एक कर्मचारी शेख पर भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश रचने (धारा 121ए आईपीसी) और उत्तर प्रदेश में गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम के तहत अपराध का आरोप है।
जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने यूपी एटीएस से पूछा कि क्या उसकी हिरासत को जारी रखना जरूरी है, क्योंकि एक साल से अधिक समय से वह एजेंसी की हिरासत में है। इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा जमानत नामंजूर किए जाने के बाद शेख ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
अभियुक्तों की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट नित्या रामकृष्णन ने प्रस्तुत किया,
"ऐसा नहीं है कि धर्म परिवर्तन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यूपी का कानून यहां लागू नहीं होता। जिस व्यक्ति ने धर्मांतरण किया है, उसका झुकाव अपनी मर्जी से इस्लाम की ओर था। उनके बयान हैं। शादी दिल्ली में हुई। उन्होंने स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन किया था।“
उन्होंने आगे कहा,
“उन्होंने मेरे खिलाफ 121A लगाया है। इसमें युद्ध छेड़ना क्या है? वे किसी और का बैंक खाता ले आए और मेरे खिलाफ आरोप लगा गए।“
राज्य की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने अदालत के समक्ष कहा कि मामले की सुनवाई शुरू हो चुकी है और इसे जल्द से जल्द पूरा किया जाएगा। इस मुद्दे का राज्य भर में गंभीर प्रभाव है। एक सरकारी कर्मचारी के रूप में अपने पद का दुरूपयोग करते हुए, उसने भोले-भाले लोगों को लुभाने के लिए सांकेतिक भाषा का प्रयोग किया। विदेशी फंड भी मिला है। एक पूरा सिंडिकेट है।
पीठ ने एएसजी से पूछा,
"आप उनकी भूमिका को कैसे जोड़ते हैं?"
रामकृष्णन ने कहा,
"युद्ध छेड़ना कैसे शामिल है? आप 121ए कैसे जोड़ते हैं?”
पीठ ने एएसजी से पूछा,
''121ए कैसे बनता है?''
नटराज ने बेंच को सप्लीमेंट्री चार्जशीट दिखाई और कहा,
"ट्रायल शुरू हो गया है। यौर लॉर्डशिप इसे 3 या 6 महीने में समाप्त करने का आदेश दे सकते हैं। इसका समाज पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। इसका प्रभाव हमारे देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने पर पड़ता है। यह एक सिंडिकेट है। उसने 450 लोगों का धर्म परिवर्तन कराया है। विदेशी फंड शामिल है।“
रामकृष्णन ने फिर से हस्तक्षेप किया और कहा,
"उनके काउंटर में यह मामला भी नहीं है कि उन्होंने इन सभी लोगों को धर्मांतरित किया।"
नटराज ने बताया,
“वह अपने पीड़ितों से कहते हैं कि वह सरकार की ओर से ऐसा कर रहे हैं। इस तरह वह प्रोजेक्ट करता है।“
पीठ ने एएसजी की ओर इशारा करते हुए कहा,
"पहले से ही आपके पास वह हिरासत में एक साल से अधिक समय से था। क्या अभी भी हिरासत में रखने की आवश्यकता है?"
एएसजी ने जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा है। तदनुसार मामले को फरवरी 2022 तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
चार्जशीट के मुताबिक, यूपी पुलिस ए.टी.एस. सूचना मिली थी कि कुछ देशद्रोही/असामाजिक तत्वों और धार्मिक संगठनों ने आई.एस.आई. और विदेशी संगठनों के इशारे पर विदेशों से धन प्राप्त कर लोगों को इस्लाम में धर्मांतरित कराने में लिप्त हैं।
जांच के दौरान, एक उमर गौतम को धर्मांतरण रैकेट चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इरफ़ान शेख (अपीलकर्ता), जो सांकेतिक भाषा प्रशिक्षण और अनुसंधान केंद्र, नई दिल्ली में एक दुभाषिया के रूप में काम कर रहा था, इस सिंडिकेट की एक महत्वपूर्ण कड़ी होने का आरोप लगाया गया था।
शेख के खिलाफ आईपीसी की धारा 120B, 121A, 123, 153A, 153B, 295A, 298, 417 एवं उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, (अधिनियम) की धारा 3/5/8 के तहत आरोप पत्र दायर किया गया था।
मामला: इरफ़ान खान @ इरफ़ान शेख बनाम उत्तर प्रदेश राज्य। एसएलपी(सीआरएल) संख्या 008576 - / 2022