हेट स्पीच केस : सुप्रीम कोर्ट ने जितेंद्र त्यागी को आत्मसमर्पण करने को कहा, अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाने से इनकार किया

Update: 2022-08-29 09:54 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हरिद्वार धर्म संसद में कथित रूप से मुस्लिम विरोधी भड़काऊ भाषण देने के मामले में जितेंद्र त्यागी उर्फ ​​वसीम रिजवी को मेडिकल आधार पर दी गई अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाने से इनकार कर दिया।

जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने त्यागी को 2 सितंबर तक आत्मसमर्पण करने को कहा और नियमित आवेदन को 9 सितंबर को सुनवाई के लिए पोस्ट किया।

कोर्ट ने 17 मई को त्यागी को तीन महीने की अंतरिम जमानत दी थी।

आज सुनवाई के दौरान पीठ ने त्यागी के वकील से कहा,

"आप मेडिकल आधार पर अंतरिम ज़मानत पर हैं, राइट ? पहले आत्मसमर्पण करें। पहले जाएं और आत्मसमर्पण करें।"

पीठ ने कहा कि उनके खिलाफ कई मामले लंबित हैं।

हालांकि वकील ने अगले सोमवार (5 सितंबर) को पोस्टिंग की मांग की, लेकिन पीठ ने इनकार कर दिया और मामले को 9 सितंबर को पोस्ट कर दिया।

जितेंद्र त्यागी उर्फ ​​वसीम रिजवी को इस साल 13 जनवरी को भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए और 298 के तहत दर्ज एक मामले में गिरफ्तार किया गया था।

जस्टिस रवींद्र मैथानी की एकल पीठ ने उन्हें यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया कि उन्होंने बेहद अपमानजनक टिप्पणी की थी। अदालत ने कहा,

"पैगंबर के साथ दुर्व्यवहार किया गया है, यह एक विशेष धर्म के लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने का इरादा है, यह युद्ध छेड़ने का इरादा रखता है। यह दुश्मनी को बढ़ावा देता है। यह एक अभद्र भाषा है।"

जितेंद्र त्यागी को पहले वसीम रिजवी के नाम से जाना जाता था, कभी यूपी शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष थे। पिछले साल दिसंबर में उन्होंने हिंदू धर्म अपना लिया और जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी नाम स्वीकार कर लिया।

केस टाइटल। : जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ ​​वसीम रिज़वी बनाम उत्तराखंड राज्य और दूसरा | एसएलपी (सीआरएल) 3304/2022

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