सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के प्रयास मामले में बीजेपी विधायक नितेश राणे को सरेंडर करने को कहा, दस दिन के लिए गिरफ्तारी से संरक्षण
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भाजपा विधायक नितेश राणे को सिंधुदुर्ग में उनके खिलाफ दर्ज हत्या के प्रयास के मामले में संबंधित अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया और उन्हें 10 दिनों तक गिरफ्तारी से संरक्षण दिया।
उपरोक्त निर्देश के साथ, भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने राणे द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका का निपटारा किया, जिसमें बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के बेटे को गिरफ्तारी से पहले जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।
राणे की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और सिद्धार्थ लूथरा और महाराष्ट्र राज्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए।
राणे के साथ हाईकोर्ट ने उनके सह आरोपी संदेश उर्फ गोटया सावंत को भी गिरफ्तारी से पहले जमानत देने से इनकार कर दिया था।
आरोपी मनीष दलवी को अग्रिम जमानत दे दी गई है।
कंकावली पुलिस ने राणे और अन्य के खिलाफ दिसंबर 2021 में भारतीय दंड संहिता की धारा 307, 120 (बी) के साथ 34 के तहत मामला दर्ज किया था। सिंधुदुर्ग की एक सत्र अदालत द्वारा उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद राणे ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
राणे के खिलाफ मामला संतोष परब (44) की शिकायत पर आधारित है। उसने आरोप लगाया कि जब वह कंकावली में नरवदे नाका से बाइक पर जा रहा था, बिना नंबर प्लेट वाली एक इनोवा कार ने उसकी मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी और उसे 50 फीट से अधिक घसीटा। इसके बाद हमलावर ने सतीश सावंत नाम के एक व्यक्ति के साथ काम करने पर उसे देख लेने की धमकी दी।
परब ने कहा कि उस व्यक्ति ने उसे मारने का प्रयास किया और उसके सीने में छुरा घोंप दिया। इसके अलावा, उसने पुलिस को बताया, उसने अपने हमलावर को कथित तौर पर यह कहते सुना कि उसे (हमलावर) गोटया सावंत और नितेश राणे को सूचित करना चाहिए।
हाईकोर्ट के समक्ष, नितेश राणे की ओर से यह तर्क दिया गया था कि उन्हें सिंधुदुर्ग जिला सहकारी बैंक चुनावों में भाग लेने से रोकने के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जो 30 दिसंबर, 2021 को होने वाले थे।इसे कैट-कॉलिंग घटना बताया गया, जब 23 दिसंबर को विधान भवन के बाहर, जब शिवसेना नेताओं ने कथित तौर पर कहा था कि राणे को सबक सिखाया जाएगा, इसका भी हवाला दिया गया था।
पुलिस की ओर से पेश हुए विशेष लोक अभियोजक ने राणे को "मास्टरमाइंड" बताते हुए जमानत का कड़ा विरोध किया था, कि वो अब गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है। यह प्रस्तुत किया गया था कि राणे की हिरासत की आवश्यकता पैसे की ट्रेल को स्थापित करने के लिए आवश्यक थी जिसके द्वारा हमलावरों को हमले के लिए रखा गया था।
यह तर्क दिया गया कि मामला कथित कैट-कॉलिंग घटना का परिणाम नहीं था क्योंकि साजिश का खुलासा सचिन सतपुते की गिरफ्तारी के बाद ही हुआ था।
केस : नितेश नारायण राणे बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य