रविदास मंदिर : सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया, मंदिर के लिए होगा पक्का निर्माण
दिल्ली के तुगलकाबाद में रविदास मंदिर के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पक्के निर्माण का रास्ता साफ करते हुए स्पष्ट किया है कि मंदिर के पुननिर्माण के लिए पक्के निर्माण का ही आदेश जारी किया गया है।
सोमवार को इस मामले में हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक तंवर और पूर्व मंत्री प्रदीप जैन की ओर से वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने जस्टिस अरुण मिश्रा की पीठ से पक्के निर्माण का आदेश जारी करने का अनुरोध किया। पीठ ने इसके बाद स्पष्ट किया कि उसका 21 अक्तूबर को दिया गया मंदिर के निर्माण का आदेश पक्के निर्माण के लिए ही था।
सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए थे आदेश
गौरतलब है 21 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम आदेश जारी करते हुए उसी जगह पर मंदिर बनाने के निर्देश दिए थे। जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार के उस प्रस्ताव पर मंजूरी दे दी थी जिसमें 200 वर्ग मीटर की जगह 400 वर्ग मीटर जगह मंदिर के लिए देने की बात कही गई ।
अपने आदेश में पीठ ने कहा है कि मंदिर के लिए स्थायी निर्माण होगा और केंद्र सरकार निर्माण के लिए 6 हफ्ते में एक समिति का गठन करेगी । पीठ ने स्पष्ट किया कि मंदिर में और इसके आसपास कोई भी व्यावसायिक गतिविधि या पार्किंग नहीं होगी। पीठ ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि मंदिर के ढहाए जाने के विरोध में हुए प्रदर्शन में गिरफ्तार लोगों को निजी मुचलके पर छोड़ दिया जाए।
सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार अब 200 की जगह 400 वर्ग मीटर जगह मंदिर के लिए देने को तैयार है लेकिन यहां वन क्षेत्र होने के कारण स्थायी निर्माण नहीं बल्कि लकड़ी का मंदिर बनाया जा सकता है । हालांकि पीठ ने कहा था कि यहां पक्का मंदिर बनाया जाना चाहिए । पीठ ने कहा कि केंद्र द्वारा बनाई जाने वाली समिति में संत रविदास जयंती समिति समारोह के सदस्य भी आवेदन दे सकते हैं ।18 अक्तूबर को दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वो लोगों की आस्था को देखते हुए उसी स्थान पर 200 वर्ग मीटर जगह मंदिर बनाने के लिए तैयार है।
गौरतलब है कि 4 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वो धरती पर सभी की भावनाओं का सम्मान करता है।पीठ ने सभी पक्षकारों को कहा था कि वो अटार्नी जनरल से मिलकर इस मामले में किसी दूसरी जमीन पर मंदिर के निर्माण के लिए हल निकालें। इसके बाद इस समझौते को कोर्ट में दाखिल करें जिससे अदालत कोई आदेश जारी कर सके।पीठ ने कहा था कि इस मामले में कोई बेहतर स्थान, बेहतर जमीन और बेहतर रास्ता खोजा जाना चाहिए। पीठ ने कहा था कि ये मंदिर वन क्षेत्र पर बना था और अदालत किसी अन्य जमीन पर मंदिर बनाने पर विचार कर सकती है ।
दरअसल दिल्ली के तुगलकाबाद स्थित रविदास के मंदिर को डीडीए द्वारा ढहा दिया गया था। डीडीए का दावा रहा है कि मंदिर अवैध तरीके से कब्ज़ा की गई ज़मीन पर बना था। सुप्रीम कोर्ट ने नौ अगस्त को सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार को ये सुनिश्चित कराने का आदेश दिया था कि 13 अगस्त से पहले मंदिर गिरा दिया जाए।
10 अगस्त को मंदिर गिरा दिया गया। संत रविदास जयंती समिति समारोह के ज़मीन पर दावे को सबसे पहले ट्रायल कोर्ट ने 31 अगस्त 2018 को ख़ारिज किया था और 20 नवंबर 2018 को दिल्ली हाई कोर्ट ने भी निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा। इस साल आठ अप्रैल को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को पलटने से इंकार करते हुए मंदिर गिराए जाने का आदेश दिया था। डीडीए का दावा था कि दिल्ली लैंड रिफॉर्म एक्ट 1954 के बाद ज़मीन केंद्र की हो गई है। डीडीए ने हाई कोर्ट को ये भी बताया था कि राजस्व रिकॉर्ड में समिति के मालिकाना हक़ का कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है। डीडीए ने ये दलील भी दी कि विवादित ज़मीन वन क्षेत्र है इस वजह से वहां किसी तरह के निर्माण को नहीं हो सकता। वहीं समिति का दावा था कि मंदिर पर मालिकाना हक उसका है।