यमन में नर्स निमिषा प्रिया की फांसी रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका, भारत सरकार से कूटनीतिक बातचीत की मांग

Update: 2025-07-10 05:50 GMT

यमन में केरल की नर्स निमिषा प्रिया की 16 जुलाई को होने वाली फांसी पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई।

सीनियर एडवोकेट रागेंथ बसंत ने जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की आंशिक कार्यदिवस पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख करते हुए तत्काल सुनवाई की मांग की।

एडवोकेट के. सुभाष चंद्रन की सहायता से बसंत ने दलील दी कि शरीयत कानून के अनुसार यदि पीड़ित के रिश्तेदार रक्तदान स्वीकार करने के लिए सहमत हों तो किसी व्यक्ति को रिहा किया जा सकता है और इस विकल्प पर विचार करने के लिए बातचीत की जा सकती है।

याचिकाकर्ता सेव निमिषा प्रिया एक्शन काउंसिल नामक एक संगठन राजनयिक माध्यमों से यमन से निमिषा की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग कर रहा है।

जब जस्टिस धूलिया ने पूछा कि उस व्यक्ति को मौत की सज़ा क्यों सुनाई गई तो बसंत ने जवाब दिया,

"मैं केरल का एक भारतीय नागरिक हूं। वहां नर्स की नौकरी के लिए गया था। स्थानीय व्यक्ति ने मुझे प्रताड़ित करना शुरू कर दिया और उसकी हत्या कर दी गई।"

पीठ ने शुरुआत में मामले को 14 जुलाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई। फिर बसंत ने बताया कि फांसी 16 जुलाई को होनी है, इसलिए राजनयिक वार्ता के लिए सिर्फ़ दो दिन छोड़ना शायद कारगर न हो। उन्होंने आज या कल के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया।

उन्होंने आग्रह किया,

"कृपया आज या कल सूचीबद्ध करें, क्योंकि 16 तारीख़ फांसी की तारीख़ है। राजनयिक माध्यम से भी समय की आवश्यकता होती है।"

पीठ ने मामले को सोमवार (14 जुलाई) के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।

निमिषा प्रिया को वर्ष 2017 में यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या के लिए मौत की सज़ा सुनाई गई थी।

निमिषा ने कथित तौर पर अपने पासपोर्ट को वापस पाने के लिए उसे बेहोशी का इंजेक्शन दिया था जो उसके पास था। निमिषा को कथित तौर पर उसके द्वारा दुर्व्यवहार और यातना का सामना करना पड़ा था।

इससे पहले निमिषा प्रिया की मां ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर उसकी रिहाई के लिए यमन जाने की अनुमति मांगी थी।

उस याचिका पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्र सरकार ने नवंबर, 2023 में हाईकोर्ट को सूचित किया कि यमन की ने उनकी अपील खारिज कर दी है।

इस पर संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को मां के आवेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया।

मां ने भारतीय नागरिकों के यमन जाने पर लगे प्रतिबंध के बावजूद वहां जाने की अनुमति मांगी थी।

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