महाराष्ट्र के राज्यपाल ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के सरकारी बंगले का बाजार का किराया ना देने पर अवमानना कार्यवाही को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी
Maharashtra Governor Moves Supreme Court Against Uttarakhand HC's Contempt Proceeding On Alleged Non-Payment Of Rent Of Govt. Allocated Bungalow
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल की गई है। इसमें उत्तराखंड उच्च न्यायालय द्वारा नोटिस जारी करने को चुनौती दी गई है, जिसमें उनकेखिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू की गई है।
उच्च न्यायालय के समक्ष , अवमानना याचिका सरकारी बंगले के लिए बाजार किराए के भुगतान के आदेश का पालन करने में राज्यपाल की कथित विफलता पर टिकी है, जो उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में आवंटित किया गया था।
याचिका में कहा गया है कि
" बाजार किराए की उपरोक्त राशि बिना किसी तर्कसंगत के दी गई है और देहरादून में एक आवासीय परिसर के लिए ये हद से ज्यादा है और इस प्रक्रिया में याचिकाकर्ता की भागीदारी का अवसर दिए इसका प्रतिपादन किया गया है जो कि कुल निर्धारित राशि 47,57,158 / - रुपये के बाजार के किराए के निर्धारण की प्रक्रिया को मनमाने ढंग से, भेदभावपूर्ण और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करने वाली बनाती है।"
यह तर्क दिया गया है कि उक्त बाजार किराए का निर्धारण करने वाले किसी भी कानूनी अधिकारी द्वारा कोई कानूनी आदेश पारित नहीं किया गया था, कभी भी याचिकाकर्ता को इसकी आपूर्ति नहीं की गई थी या उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत नहीं की गई थी, लेकिन यह पता लगाया गया कि ये राशि उच्च न्यायालय में हलफनामे के समक्ष रखी गई थी, जिसे अदालत ने इसकी वैधता और शुद्धता का पता लगाने के लिए कोई भी न्यायिक विवेक लगाए बिना अनुमोदित किया।
"12 फरवरी, 2019 को उपर्युक्त हलफनामा याचिकाकर्ता या किसी अन्य पूर्व मुख्यमंत्री को नहीं दिया गया था और न ही उन्हें आवासीय परिसर के बाजार किराए के निर्धारण की कार्यवाही में भाग लेने का अवसर दिया गया था"
कोश्यारी ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा है कि चूंकि वह महाराष्ट्र के वर्तमान गवर्नर हैं, इसलिए संविधान के अनुच्छेद 361 को लागू किया जाएगा, जो राष्ट्रपति और राज्यपालों को इस तरह की कार्यवाही के लिए संरक्षण प्रदान करता है।
सुप्रीम कोर्ट में राज्यपाल के लिए वरिष्ठ वकील अमन सिन्हा बहस करेंगे
राज्यपाल ने कहा है कि उनके पास एक नियम के तहत एक वैध प्राधिकारी द्वारा जारी किए गए आदेश के तहत आवासीय परिसर का कब्जा था , जो आवंटन के समय विवाद में नहीं था और कानून द्वारा ऐसा करने के लिए आवश्यक होने पर ही खाली कर दिया था।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पिछले साल 3 मई को राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों को आदेश दिया था कि वे पूरी अवधि के लिए बाजार किराए का भुगतान करें, क्योंकि जब वे पद पर नहीं थे तब भी वे सरकारी आवास पर कब्जा करते रहे।
26 अक्टूबर को, शीर्ष न्यायालय ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री, रमेश पोखरियाल निशंक (वर्तमान केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री) द्वारा किराए के कथित भुगतान न करने के मामले में उत्तराखंड उच्च न्यायालय द्वारा शुरू की गई अवमानना कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।