भीमा कोरेगांव हिंसा : मुख्य न्यायाधीश, फिर तीन जज और अब जस्टिस भट्ट ने भी गौतम नवलखा की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग किया 

Update: 2019-10-03 06:33 GMT

भीमा कोरेगांव हिंसा मामले के आरोपी एक्टिविस्ट गौतम नवलखा की याचिका पर अब सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एस. रविंद्र भट्ट ने भी सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। गौरतलब है कि नवलखा ने बॉम्बे उच्च न्यायालय के 13 सितंबर के फैसले को चुनौती दी है जिसमें FIR रद्द करने से इनकार कर दिया गया था।

मामले की सुनवाई अब शुक्रवार को दूसरी पीठ करेगी। जस्टिस भट्ट इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग करने वाले पांचवे जज हैं। गुरुवार को जैसे ही जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस एस. रविंद्र भट्ट की पीठ के सामने मामला आया तो जस्टिस मिश्रा ने कहा कि पीठ के एक जज मामले की सुनवाई नहीं करना चाहते हैं।

मामला होगा शुक्रवार को सूचीबद्ध

इस पर नवलखा की ओर से बताया गया कि हाई कोर्ट द्वारा दिया गया संरक्षण शुक्रवार को खत्म हो रहा है। पीठ ने कहा कि मामले की सुनवाई शुक्रवार को ही सूचीबद्ध होगी। मंगलवार को भी सुप्रीम कोर्ट में 3 जजों की पीठ में शामिल जजों ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।

मुख्य न्यायाधीश भी कर चुके हैं खुद को मामले की सुनवाई से अलग

इससे पहले सोमवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने भी सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। मंगलवार को जस्टिस एन. वी. रमना, जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी और जस्टिस बी. आर. गवई की पीठ के सामने ये मामला आया तो पीठ ने कहा कि वो सुनवाई से अलग हो रहे हैं। इसके बाद मामले को फिर से मुख्य न्यायाधीश के पास भेजा गया था ताकि नई पीठ का गठन हो सके।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने पाया था कि गौतम नवलखा के खिलाफ बनता है प्रथम दृष्टया मामला

दरअसल बॉम्बे उच्च न्यायालय ने नवलखा के खिलाफ 1 जनवरी 2018 को पुणे पुलिस द्वारा दर्ज FIR को रद्द करने से इनकार कर दिया था। गौरतलब है कि बॉम्बे हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति रंजीत मोरे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ ने अतिरिक्त लोक अभियोजक अरुणा पई द्वारा सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत दस्तावेज का हवाला देते हुए यह कहा था कि 65 वर्षीय एक्टिविस्ट के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है।

पुलिस ने यह दावा किया कि उसके पास माओवादी साजिश में नवलखा की 'गहरी संलिप्तता' के सबूत हैं। अदालत ने यह भी कहा था कि अपराध भीमा-कोरेगांव हिंसा तक सीमित नहीं है इसमें कई पहलू हैं। इसलिए हमें जांच की जरूरत लगती है।

क्या है नवलखा के खिलाफ मामला

दरअसल एल्गार परिषद द्वारा 31 दिसंबर 2017 को पुणे जिले के भीमा-कोरेगांव में कार्यक्रम के एक दिन बाद कथित रूप से हिंसा भड़क गई थी। पुलिस का यह आरोप है कि मामले में नवलखा और अन्य आरोपियों का माओवादियों से लिंक था और वे सरकार को उखाड़ फेंकने की दिशा में काम कर रहे थे। 

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