जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट व अन्य प्रतिबंधों के खिलाफ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

Update: 2019-11-27 06:42 GMT

जम्मू- कश्मीर में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाकर विशेष दर्जा खत्म करने के केंद्र सरकार के फैसले के बाद लगाए गए इंटरनेट व अन्य प्रतिबंधों पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।

इनमें कश्मीर टाइम्स की एग्जीक्यूटिव एडिटर अनुराधा भसीन, कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद समेत अन्य लोगों की याचिका है।

बुधवार को जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस एस सुभाष रेड्डी और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने केंद्र की ओर से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल, जम्मू-कश्मीर की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल व वकील वृंदा ग्रोवर की दलीलें पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।

इस दौरान जस्टिस रमना ने सुनवाई के दौरान एक बार फिर कहा कि अदालत लोगों के मौलिक अधिकारों और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करेगी।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा हटाने के 5 अगस्त के फैसले के बाद इंटरनेट सेवाओं के साथ-साथ टेलीफोन सेवाओं व अन्य लगाए गए प्रतिबंधों को चुनौती देते हुए कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद समेत अन्य लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।

इसके साथ-साथ अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाने की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को पांच जजों के संविधान पीठ में भेजा गया है। पीठ को दस दिसंबर को अगली सुनवाई करनी है। 

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