COVID19 : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को प्रवासी श्रमिकों के कल्याण, प्रकोप के प्रति जागरूकता और नकली खबरों पर कार्रवाई के निर्देश दिए
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को राष्ट्रव्यापी बंद के मद्देनज़र प्रवासी श्रमिकों के लिए बुनियादी आवश्यकताओं और चिकित्सा सुविधाओं की पहुंच सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एलएन राव की पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि यह सुनिश्चित करने के लिए विशेषज्ञों की एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाए कि नागरिकों के बीच COVID19 की जागरूकता व्यापक और तथ्यात्मक हो और एक पोर्टल के जरिए सवालों के जवाब दिए जाएं।
पीठ ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि जैसे-जैसे गर्मियां आ रही हैं, आश्रय घरों में पानी, भोजन और पर्याप्त दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए। यह देखते हुए कि "COVID19 वायरस के प्रसार से ज्यादा भय जीवन नष्ट कर देगा, " मुख्य न्यायाधीश ने निर्देश दिया कि केंद्र को उन सभी व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए जो नकली समाचार फैलाते हैं।
वहींसॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने 30 मार्च को अदालत के निर्देशों के मद्देनज़र एक विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसके आलोक में, उन्होंने बताया कि केंद्र का दृष्टिकोण अति-सक्रिय रहा है और प्रकोप पर अंकुश लगाने के लिए पहले से सतर्क है। मेहता के अनुसार, केंद्र द्वारा दायर की गई।
स्टेटस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत ने अपनी सीमाओं तक पहुंचने से पहले ही वायरस के प्रकोप को रोकने के लिए कई कदम उठाए थे।
इसके अलावा, सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि अब कोई भी प्रवासी श्रमिक अपने गांवों की ओर नहीं भाग रहे हैं क्योंकि सभी को आश्रय घरों में भेज दिया गया है।
मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि संकट के इस समय में भारत के नागरिकों की सुरक्षा, जागरूकता और मजबूती सुनिश्चित करने की अत्यधिक आवश्यकता है। इस बिंदु पर, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सहमति व्यक्त की और कहा कि संकट के चलते अभूतपूर्व आदेश पारित किए जाएं। अब मंगलवार, 7 अप्रैल, 2020 के लिए सुनवाई तय की गई है।