अवैध रेत खनन : राजस्थान में अवैध रेत खनन गतिविधियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिए जांच के निर्देश

Update: 2020-02-19 15:00 GMT

मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एसए बोबड़े के नेतृत्व वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने बुधवार को राजस्थान में अवैध रेत खनन के मामले में कड़ी नाराजगी जाहिर की। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय सशक्तिकरण समिति (सीईसी) को निर्देश दिया है कि वह राजस्थान राज्य में अवैध रेत खनन गतिविधियों की जांच करे और 6 सप्ताह के भीतर अपनी सिफारिशों के साथ एक रिपोर्ट प्रस्तुत करे।

राजस्थान के हर जिले के कलेक्टर और एसपी को भी राज्य में अवैध रेत खनन पर अंकुश लगाने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया गया है।

रेत खनन से संबंधित कई याचिकाओं पर मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने सुनवाई की। याचिकाकर्ता ने व्यक्तिगत तौर पर पेश होकर दलील दी कि भले ही राज्य में अवैध रेत खनन पर न्यायालयों द्वारा प्रतिबंध लगा दिया गया हो, परंतु अवैध खनन अब भी जारी है।

याचिकाकर्ता ने दलील दी कि किसी भी सरकार ने हमारे राज्य में कभी भी अवैध खनन को नहीं रोका है। भाजपा और कांग्रेस, दोनों राज्य के लोगों के साथ 20-20 का क्रिकेट खेल रही हैं। यह कोई छिपी हुई बात नहीं है कि राज्य में भू-माफिया हावी हैं। इस तथ्य पर, याचिकाकर्ता ने पीठ से अनुरोध किया कि वह जांच शुरू करवाएं और सीईसी को यह जांच करने का निर्देश जारी करें।

सीजेआई बोबड़े ने याचिकाकर्ता को आश्वस्त किया कि न्यायालय इन सुझावों को ध्यान में रखेगा। सीजेआई ने कहा कि-

" यह छुपा नहीं है कि रेत खनन पर्यावरण के लिए अपूरणीय क्षति का कारण बनता है। यदि ऐसा हो रहा है तो हम इस मामलों को देखने के निर्देश जारी करेंगे और आपके सुझाव भी लेंगे।"

पहले ही रेत खनन पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2017 के एक फैसले के तहत रोक लगा दी गई थी। इन याचिकाओं में यह भी मांग की गई थी कि जिन पक्षों को लेटर्स ऑफ इंटेंट (एलओआई) प्रदान किया जा चुका है, उन्हें पर्यावरण मंजूरी लेने की अनुमति दी जाए, जिसके संबंध में पहले ही 9 मई 2019 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश में निर्देश दिया जा चुका है।

पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि भले ही रेत खनन पर प्रतिबंध जारी रहेगा, लेकिन जिन पक्षों को पहले से ही एलओआई प्रदान किया जा चुका है, वे पर्यावरणीय मंजूरी के लिए आवेदन कर सकते हैं। 

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