'अगर सरकारी पद के लिए भर्ती नियम केवल डिप्लोमा होल्डर को पात्र मानता है तो क्या राज्य को डिग्री होल्डर पर विचार करने के लिए निर्देशित किया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बॉम्बे हाईकोर्ट के खिलाफ एक विशेष अनुमति याचिका में नोटिस जारी किया, जिसमें सिविल इंजीनियरिंग में डिग्री धारकों को एक सरकारी विभाग में जूनियर इंजीनियर के पद के लिए पात्र माने जाने से इनकार कर दिया गया था, जिसने सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा रखने वाले उम्मीदवारों से आवेदन मांगे थे।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जे.के. माहेश्वरी की खंडपीठ ने उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा,
“नोटिस जारी किया जा रहा है। 14 अप्रैल तक जवाब दाखिल किया जाए। फैसले पर रोक लगाने से इनकार किया जाता है। आधिकारिक प्रतिवादी विशेष अनुमति याचिका के अंतिम परिणाम के अधीन चयन प्रक्रिया के साथ आगे बढ़ने के लिए स्वतंत्र होंगे।"
ये सवाल है कि क्या सिविल इंजीनियरिंग डिग्री धारक 2019 में महाराष्ट्र सरकार के जल संसाधन विभाग द्वारा विज्ञापित जूनियर सिविल इंजीनियर के पद के लिए आवेदन करने के पात्र होंगे। राज्य प्रशासनिक के समक्ष पात्रता मानदंड को असफल रूप से चुनौती देने के बाद ट्रिब्यूनल, 610 सिविल इंजीनियरों ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
इस साल जनवरी में एक्टिंग चीफ जस्टिस एस.वी. गंगापुरवाला और जस्टिस संदीप वी. मार्ने ने उनकी रिट याचिका को खारिज करते हुए कहा,
"केवल इसलिए कि सिविल इंजीनियरिंग में डिग्री डिप्लोमा की तुलना में एक उच्च योग्यता हो सकती है, ये अदालत भर्ती नियमों के प्रावधानों की व्याख्या करने और प्रत्यक्ष करने की स्थिति में नहीं होगी। राज्य सरकार उन उम्मीदवारों पर विचार करे जो भर्ती नियमों के अनुसार पात्र नहीं हैं। इसलिए हम भर्ती नियमों के तहत आवश्यकता के संदर्भ में सिविल इंजीनियरिंग में उस डिग्री को डिप्लोमा की तुलना में उच्च योग्यता रखने में असमर्थ हैं।“
इस फैसले को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ताओं ने अब शीर्ष अदालत का रुख किया है।
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि जूनियर इंजीनियर और सेक्शनल इंजीनियर के पद के लिए भर्ती नियमों को पढ़ने से सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री भर्ती के लिए समकक्ष योग्यता है।
उन्होंने आगे आरोप लगाया है कि वर्तमान भर्ती विज्ञापन में केवल डिप्लोमा पाठ्यक्रमों की योग्यता को समकक्ष योग्यता के रूप में निर्धारित करना उक्त भर्ती नियमों का उल्लंघन है।
याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व एडवोकेट सिद्धार्थ चपलगांवकर, संघर्ष वाघमारे, स्नेहा बोत्वे, भाग्यशा कुराने, अभ्युदय वत्स और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड पई अमित किया, जबकि एडवोकेट सिद्धार्थ धर्माधिकारी, भारत बागला, सौरव सिंह और सुप्रीम कोर्ट एओआर आदित्य अनिरुद्ध पांडे प्रतिवादियों प्रतिनिधित्व की ओर से पेश हुए।
केस टाइटल
मिलिंद शांतिलाल राठौड़ व अन्य बनाम महाराष्ट्र राज्य | विशेष अनुमति याचिका (सिविल) संख्या 3674 ऑफ 2023