बिलकिस बानो केस: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और गुजरात सरकार को जारी किया नोटिस
Bilkis Bano Case- सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो मामले के 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ दायर याचिका में केंद्र और गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया। जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने कई राजनीतिक और नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं की तरफ से दायर याचिकाओं और बानो की तरफ से दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई की।
बेंच ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 18 अप्रैल तय करते हुए कहा कि इसमें कई तरह के मुद्दे शामिल हैं और इसे मामले की विस्तार से सुनवाई करने की जरूरत है।
बेंच ने गुजरात सरकार को सुनवाई की अगली तारीख पर पक्षकारों को छूट देने वाली संबंधित फाइलों के साथ तैयार रहने का भी निर्देश दिया।
बता दें कि 2002 के गुजरात दंगों के दौरान 11 दोषियों ने बिल्किस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या की थी। गुजरात सरकार ने 15 अगस्त 2022 को दोषियों को राहत देते हुए दोषियों को रिहा कर दिया था। इसके खिलाफ बिल्किस बानो ने फिर से सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है और याचिका दायर की।
बानो की वकील एडवोकेट शोभा गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पांच बार उल्लेख किए जाने के बाद इस मामले को सूचीबद्ध किया गया है। दो दिन पहले जब सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच के सामने इस मामले का उल्लेख किया गया था, तो शीर्ष अदालत ने गुप्ता को आश्वासन दिया था कि याचिका पर सुनवाई के लिए एक विशेष बेंच का गठन किया जाएगा।
मई 2022 में, जस्टिस रस्तोगी की अगुवाई वाली एक पीठ ने फैसला सुनाया था कि गुजरात सरकार के पास छूट के अनुरोध पर विचार करने का अधिकार क्षेत्र है क्योंकि अपराध गुजरात में हुआ था। इस फैसले की समीक्षा के लिए बिलकिस बानो द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2022 में खारिज कर दिया था।
इस बीच, सभी ग्यारह दोषियों को 15 अगस्त, 2022 को रिहा कर दिया गया, जब राज्य सरकार ने उनके क्षमा आवेदनों को अनुमति दी। रिहा किए गए दोषियों के वीरतापूर्ण स्वागत के दृश्य सोशल मीडिया में वायरल हो गए, जिससे कई वर्गों में आक्रोश फैल गया। इसके बाद दोषियों को दी गई राहत पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिकाएं दायर की गईं। बिलकिस ने दोषियों की समय से पहले रिहाई को भी चुनौती दी है।
गुजरात सरकार ने एक हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि दोषियों के अच्छे व्यवहार और उनके द्वारा 14 साल की सजा पूरी होने को देखते हुए केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद ये फैसला लिया गया है। राज्य के हलफनामे से पता चला कि सीबीआई और ट्रायल कोर्ट (मुंबई में विशेष सीबीआई कोर्ट) के पीठासीन न्यायाधीश ने इस आधार पर दोषियों की रिहाई पर आपत्ति जताई कि अपराध गंभीर और जघन्य था।
गुप्ता का कहना है कि बिलकिस ने अपने और अपने परिवार के सदस्यों के खिलाफ भयानक हिंसा का सामना किया। इसमें रेप और हत्या शामिल है।