10 मई को सुप्रीम कोर्ट UAPA, PMLA, बेनामी संपत्ति आदि मामलों में सजायाफ्ता को एक के बाद दूसरी सजा की याचिका पर सुनवाई करेगा
सुप्रीम कोर्ट उस याचिका पर 10 मई को सुनवाई करने को तैयार हो गया है जिसमें कहा गया है कि गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम, 1967, भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, धन शोधन रोकथाम अधिनियम, विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम, बेनामी संपत्ति लेनदेन निषेध अधिनियम आदि के तहत दोषी ठहराए गए लोगों को समवर्ती सजा (Concurrent punishment) की बजाए एक के बाद (Consecutive punishment) सजा दी जाए।
दरअसल भाजपा नेता और वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर याचिका में काले धन पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त SIT के उपाध्यक्ष जस्टिस अरिजीत पसायत द्वारा अप्रैल 2016 में प्रस्तावित प्रस्ताव का उल्लेख है। जस्टिस पसायत ने इस मामले में बढ़ी हुई सजा और कड़े PMLA की मांग की थी। उन्होंने अमेरिका में सजा सुनाने की नीतियों का उल्लेख किया था जहां ऐसे अपराधियों को 150 साल तक की सजा सुनाई जाती है।
उन्होंने कहा था, "मैं चाहता हूं कि हमारे भी यहां ऐसी सजाएं हों। एक रुपया चुराने वालों और 300 करोड़ रुपये की लूट करने वालों को यहां एक ही सजा दी जाती है ... हत्या और हत्या के प्रयास का निर्धारण किया जाता है जबकि कर अपराध (Tax related offence) अभी भी इस श्रेणी में शामिल नहीं हैं। यदि आप कर की भारी मात्रा में चोरी कर रहे हैं तो यह अर्थव्यवस्था की हत्या है जो अंततः लोगों को प्रभावित करेगा।"