रामजन्मभूमि- बाबरी मस्जिद भूमि विवाद : हिंदू पक्षकार ने मध्यस्थता में प्रगति का हवाला देकर SC से मुख्य मामले की सुनवाई का अनुरोध किया
अयोध्या रामजन्मभूमि- बाबरी मस्जिद भूमि विवाद को लेकर एक हिंदू पक्षकार ने सुप्रीम कोर्ट से मुख्य मामले की सुनवाई शुरू करने का अनुरोध किया है। हालांकि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने पक्षकार को इस संबंध में अर्जी दाखिल करने को कहा है।
"मध्यस्थता पैनल की कोशिशों के बावजूद मामले में कोई प्रगति नहीं"
मंगलवार को मूल याचिकाकर्ता नंबर 1 गोपाल सिंह विशारद की ओर से वरिष्ठ वकील पी. एस. नरसिम्हा ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को बताया कि मध्यस्थता पैनल कोशिश कर रहा है लेकिन इस विवाद को लेकर अब कोई प्रगति नहीं हो पा रही है। इसलिए संविधान पीठ को अब मुख्य मामले यानी सिविल विवाद की सुनवाई करनी चाहिए। हालांकि चीफ जस्टिस ने कहा कि इस संबंध में अर्जी दाखिल करें तब वो देखेंगे।
पैनल को दिए गए समय को 15 अगस्त तक बढ़ाया गया
गौरतलब है कि 10 मई को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने अयोध्या रामजन्मभूमि- बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में मध्यस्थता की प्रक्रिया पूरी करने के लिए मध्यस्थता पैनल को दिए गए समय को 15 अगस्त 2019 तक बढ़ा दिया था।
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा था कि अदालत द्वारा नियुक्त मध्यस्थता समिति के अध्यक्ष की रिपोर्ट मिल गई है और इस प्रक्रिया में हुई प्रगति नोट की गई-
"मध्यस्थता जारी है और अध्यक्ष एक सौहार्दपूर्ण और पूर्ण समाधान पर पहुंचने के लिए 15 अगस्त 2019 तक इसका विस्तार चाहते हैं और जिसे हम देने के लिए इच्छुक हैं। लेकिन हम इस प्रगति (पार्टियों के बीच) को अभी के लिए गोपनीय बनाए रखेंगे। "
पक्षकारों सुन्नी वक्फ बोर्ड एवं रामलला की राय
सुन्नी वक्फ बोर्ड के वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने मध्यस्थता के सभी प्रयासों के प्रति समर्थन व्यक्त किया तो रामलला के लिए वरिष्ठ वकील सी. एस. वैद्यनाथन ने जोर देकर कहा था कि समिति को जून के अंत तक ही समय दिया जाना चाहिए।
मध्यस्थता पैनल एवं स्थान का विवरण
पहले अदालत ने पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज न्यायमूर्ति एफ. एम. आई. कलीफुल्ला, श्री श्री रवि शंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू को मध्यस्थता के लिए इस मामले को भेजा था।
मध्यस्थता कार्रवाही यूपी के फैजाबाद में आयोजित करने के लिए निर्देशित की गई, जहां विवादित स्थल स्थित है। पीठ ने यह भी स्पष्ट किया था कि मध्यस्थता प्रक्रिया को इन-कैमरा आयोजित किया जाना चाहिए और मीडिया को इसके घटनाक्रम पर रिपोर्टिंग करने से रोक दिया गया था।