मुजफ्फरपुर शेल्टर होम: सुप्रीम कोर्ट ने CBI को 3 महीने में जांच पूरी करने को कहा, धारा 377 और IT एक्ट के तहत भी जांच के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले की जांच पूरी करने के लिए सीबीआई को 3 महीने का समय दिया है।
जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस एम. आर. शाह की अवकाश पीठ ने सीबीआई को यह निर्देश दिया है कि वो इस मामले में मानव तस्करी और IT अधिनियम के तहत यौन कार्य की वीडियो रिकॉर्डिंग की जांच भी करे जिसमें आश्रय गृह के अलावा बाहरी लोगों की भी संलिप्तता है। पीठ ने अप्राकृतिक यौन कृत्य में आईपीसी की धारा 377 के तहत भी सीबीआई को जांच के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने पीठ को बताया कि हत्या की जांच चल रही है। लड़कियों को ट्रेस करने में समस्या आ रही है। सभी 35 लड़कियों का पता लगाया जा रहा है। 2 व्यक्तियों के अवशेष पाए गए लेकिन एम्स रिपोर्ट का इंतजार हो रहा है कि ये अवशेष महिला के हैं या पुरुष के, और उनकी मृत्यु का कारण क्या था।
सीबीआई ने बताया कि शेल्टर होम में 471 लड़कियों को रखा गया था। प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा है कि 11 की हत्या कर दी गई। इनमें से 4 मामलों को प्राकृतिक कारणों से मृत्यु के रूप में दर्ज किया गया है।
सीबीआई का कहना है कि फिलहाल जो चार्जशीट दी गई है उसमें हत्या के आरोप नहीं हैं लेकिन सबूत हाथ लगते ही अगली कार्रवाई की जाएगी।
याचिकाकर्ता के मुताबिक साकेत कोर्ट में दाखिल सीबीआई की चार्जशीट में गंभीर खामियां हैं। शेल्टर होम की कई लड़कियों ने एक की हत्या और कइयों से बलात्कार के बयान दिए थे लेकिन सीबीआई ने ये धाराएं चार्जशीट में नहीं लगाईं हैं।
यह भी कहा गया है कि शेल्टर होम में रहने वाली कई लड़कियों ने कहा है कि वहां बाहर से भी कुछ लोग आते थे और उन्हें प्रताड़ित करते थे। इसी तरह लड़कियों को भी बाहर लोगों के पास ले जाया जाता था। लेकिन सीबीआई ने जांच में इन बाहरी लोगों के बारे में कोई जानकारी नहीं जुटाई। ये भी कहा गया है कि इसी के चलते ये जांच बिहार पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंपी गई थी। याचिकाकर्ता ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से दखल देने की मांग की है।