मुजफ्फरपुर शेल्टर होम: सुप्रीम कोर्ट ने CBI को 3 महीने में जांच पूरी करने को कहा, धारा 377 और IT एक्ट के तहत भी जांच के निर्देश

Update: 2019-06-03 11:54 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले की जांच पूरी करने के लिए सीबीआई को 3 महीने का समय दिया है।

जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस एम. आर. शाह की अवकाश पीठ ने सीबीआई को यह निर्देश दिया है कि वो इस मामले में मानव तस्करी और IT अधिनियम के तहत यौन कार्य की वीडियो रिकॉर्डिंग की जांच भी करे जिसमें आश्रय गृह के अलावा बाहरी लोगों की भी संलिप्तता है। पीठ ने अप्राकृतिक यौन कृत्य में आईपीसी की धारा 377 के तहत भी सीबीआई को जांच के निर्देश दिए हैं।

जांच एजेंसी के वकील माधवी दीवान ने दी अहम जानकारी
इस दौरान सीबीआई ने जांच पूरी करने के लिए 6 महीने का समय मांगा। जांच एजेंसी की ओर से पेश माधवी दीवान ने कहा कि लड़कियों की हत्या की जांच के लिए सीएफएसएल रिपोर्ट की जरूरत है। कुछ लड़कियों को गवाहों द्वारा नामित किया गया है। रिकॉर्ड यह बताते हैं कि 4 लड़कियों की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई। एजेंसी "लापता" लड़कियों का पता लगा रही है और उनके पते मिल गए हैं। कुछ लड़कियां अपने परिवार के साथ वापस घर लौट आई हैं।

उन्होंने पीठ को बताया कि हत्या की जांच चल रही है। लड़कियों को ट्रेस करने में समस्या आ रही है। सभी 35 लड़कियों का पता लगाया जा रहा है। 2 व्यक्तियों के अवशेष पाए गए लेकिन एम्स रिपोर्ट का इंतजार हो रहा है कि ये अवशेष महिला के हैं या पुरुष के, और उनकी मृत्यु का कारण क्या था।

सीबीआई ने बताया कि शेल्टर होम में 471 लड़कियों को रखा गया था। प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा है कि 11 की हत्या कर दी गई। इनमें से 4 मामलों को प्राकृतिक कारणों से मृत्यु के रूप में दर्ज किया गया है।

एजेंसी कर रही है 11 लड़कियों के मामले की जांच
इससे पहले 6 मई को मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को कहा था कि वो इस संबंध में हत्याओं की जांच को लेकर 3 जून को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ ने ये निर्देश जारी किए थे। इस दौरान सीबीआई की ओर से कहा गया कि एजेंसी 11 लड़कियों के मामले की जांच कर रही है। परेशानी ये आ रही है कि शेल्टर होम में रहने वाली 35 लड़कियों के नाम एक जैसे हैं।

सीबीआई को शेल्टर होम की खुदाई में मिली हड्डियां
इससे पहले मामले की जांच कर कर रही सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर कहा कि वो 11 हत्याओं की जांच कर रही है और उसे शक है कि जो 11 लड़कियां गायब हैं उनकी हत्या की गई है। सीबीआई ने यह कहा कि शेल्टर होम में खुदाई में हड्डियां मिली है। मामले में हुई हत्या की अभी जांच अभी जारी है।

"शक्तिशाली और प्रभावशाली लोगों को बचाने की बात गलत"
जांच एजेंसी ने यह भी कहा है कि इन 11 हत्याओं में मुख्य आरोपी बृजेश ठाकुर समेत अन्य लोगो की भूमिका की जांच की जा रही है। सीबीआई ने इस आरोप से इनकार किया है कि इस मामले में शक्तिशाली और प्रभावशाली लोगों को बचाया जा रहा है। सीबीआई ने इस मामले में जांच खत्म करने के लिए और समय की मांग की है।

सीबीआई का कहना है कि फिलहाल जो चार्जशीट दी गई है उसमें हत्या के आरोप नहीं हैं लेकिन सबूत हाथ लगते ही अगली कार्रवाई की जाएगी।

सीबीआई जांच पर उठे हैं सवाल
दरअसल इस मामले में सीबीआई जांच पर भी सवाल उठे हैं। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हस्तक्षेप अर्जी में कहा गया है कि सीबीआई ने इस मामले में दाखिल चार्जशीट में हत्या और बलात्कार जैसी कठोर धाराओं की बजाए हल्की धाराओं को शामिल किया गया है। दरअसल याचिकाकर्ता निवेदिता झा की ओर से पेश शोएब आलम ने इसे सीबीआई की लापरवाही बताया है।

याचिकाकर्ता के मुताबिक साकेत कोर्ट में दाखिल सीबीआई की चार्जशीट में गंभीर खामियां हैं। शेल्टर होम की कई लड़कियों ने एक की हत्या और कइयों से बलात्कार के बयान दिए थे लेकिन सीबीआई ने ये धाराएं चार्जशीट में नहीं लगाईं हैं।

यह भी कहा गया है कि शेल्टर होम में रहने वाली कई लड़कियों ने कहा है कि वहां बाहर से भी कुछ लोग आते थे और उन्हें प्रताड़ित करते थे। इसी तरह लड़कियों को भी बाहर लोगों के पास ले जाया जाता था। लेकिन सीबीआई ने जांच में इन बाहरी लोगों के बारे में कोई जानकारी नहीं जुटाई। ये भी कहा गया है कि इसी के चलते ये जांच बिहार पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंपी गई थी। याचिकाकर्ता ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से दखल देने की मांग की है।

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