बिहार में मुस्लिम युवकों से हिरासत में टार्चर के मामले की सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार, हाई कोर्ट जाने को कहा
बिहार में 2 मुस्लिम युवकों को हिरासत में यातना देने की घटना की SIT से जांच कराने की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
"अदालत नहीं बनाती है इस प्रकार से दिशानिर्देश"
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता को कहा कि वो इस मामले को लेकर पटना हाई कोर्ट जा सकते हैं। पीठ ने कहा कि अदालत इस तरह गाइडलाइन नहीं बनाती है।
'सिटीजन्स अगेंस्ट हेट' द्वारा दायर की गई याचिका
यह याचिका 'सिटीजन्स अगेंस्ट हेट' द्वारा अपने संयोजक पूर्व आईएएस अधिकारी सज्जाद हसन के माध्यम से दाखिल की गई थी जिसमें यह आरोप लगाया गया कि बिहार सरकार ने दोषी पुलिस कर्मियों को बचाया है।
याचिका में की गयी जांच एवं गाइडलाइन जारी करने की मांग
वकील फौजिया शकील के माध्यम से दायर इस याचिका में तस्लीम अंसारी और गुफरान अंसारी की मौत की मजिस्ट्रियल जांच के अलावा किसी अन्य राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक द्वारा निगरानी में एसआईटी जांच की मांग की गई थी। याचिका में हिरासत में होने वाली मौतों पर मुआवजे को लेकर गाइडलाइन जारी करने का अनुरोध भी किया गया था।
क्या था यह पूरा मामला?
तस्लीम और गुफरान को चकिया पुलिस ने मोटरसाइकिल मामले के मामले में 5 और 6 मार्च की रात को हिरासत में लिया था। बाद में उन्हें डुमरा थाने ले जाया गया। अगले दिन परिवारों को सूचित किया गया कि दोनों की मृत्यु हो गई है।परिवार के सदस्यों के अनुसार जब शव उन्हें सौंपे गए थे तो उन्हें हिरासत में क्रूर प्रताड़ना के संकेत मिले क्योंकि उनकी जांघों और कलाई पर नाखूनों के निशान, निजी अंगों पर चोट थी और उनकी हड्डियां टूटी हुई थीं।
हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ऐसा कुछ भी दर्ज नहीं किया गया और NGO का आरोप है कि डॉक्टरों ने आरोपी पुलिसकर्मियों को बचाने के लिए ये सब किया है। याचिका में कहा गया कि हिरासत में हुई मौत को लेकर गाइडलाइन का पालन नहीं किया गया। यहां तक कि पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी भी नहीं कराई गई।
याचिकाकर्ता ने कहा कि 7 मार्च को केवल डुमरा SHO चंद्रभूषण सिंह को गिरफ्तार किया गया था। वह भी उसी दिन हिरासत से भागने में सफल रहा। इस घटना को लेकर 5 पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया गया था। आज तक किसी भी पुलिस कर्मी को गिरफ्तार नहीं किया गया है।
गौरतलब है कि बीते 15 मार्च को 'संविधान आचरण समूह' के 38 सदस्यों, जिसमें सेवानिवृत्त आईएएस, आईपीएस, आईएफएस अधिकारी हैं, ने बिहार के मुख्यमंत्री को एक खुला पत्र लिखकर मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन और सही जांच व दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की थी।