सरकारी अधिकारियों के खिलाफ़ सिर्फ़ शिकायत दर्ज करना मानहानि नहीं: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने रिटायरमेंट एयर मार्शल द्वारा दायर याचिका खारिज की, जिसमें उन्होंने अपने हाउसिंग सोसाइटी के साथी निवासियों के खिलाफ़ मानहानि मुकदमा खारिज करने को चुनौती दी थी, जिन्होंने कलेक्टर के समक्ष उनके खिलाफ़ शिकायत दर्ज की थी।
जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने प्रतिवादियों की शिकायत और उसके बाद सहकारी निरीक्षक से प्राप्त संचार सहित दस्तावेजों की समीक्षा की। माना कि सरकारी अधिकारी के खिलाफ़ सिर्फ़ शिकायत दर्ज करना मानहानि नहीं माना जा सकता।
"न्यायालय का यह विचार है कि याचिकाकर्ता द्वारा दायर की गई उपरोक्त शिकायत पूरी तरह से गलत और मान्य नहीं है, क्योंकि यह न्यायालय भी इस विचार पर है कि सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कोई भी शिकायत दर्ज करना आईपीसी की धारा 499/500 के तहत निर्धारित मानहानि के बराबर नहीं होगा, क्योंकि यह आईपीसी की धारा 499 के आठवें अपवाद के अंतर्गत आएगा"
न्यायालय ने IPC की धारा 499 के आठवें अपवाद का हवाला दिया, जो अधिकृत व्यक्तियों को सद्भावनापूर्वक की गई शिकायतों की रक्षा करता है। इसी के साथ याचिका खारिज की गई।
पूर्व एयर मार्शल की सोसायटी के निवासियों ने उनके कथित कदाचार की शिकायत की थी। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि इससे उन्हें अत्यधिक पीड़ा हुई और उनकी प्रतिष्ठा धूमिल हुई।
प्रतिवादियों ने पहले जिला अधिकारियों और सहकारी अधिकारियों के पास शिकायत दर्ज कराई, जिसमें याचिकाकर्ता पर अनुचित व्यवहार का आरोप लगाया गया।
कलेक्टर द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई, लेकिन शिकायत को सहकारी निरीक्षक को भेजे जाने के बाद जांच शुरू हुई, जिसके कारण याचिकाकर्ता को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।
याचिकाकर्ता ने प्रतिवादियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत एक निजी मानहानि शिकायत दायर की।
केस टाइटल- एयर मार्शल हरीश मसंद बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य