बॉम्बे हाईकोर्ट ने गड्ढों और सड़कों की खराब स्थिति पर जनहित याचिका पर फिर से सुनवाई शुरू की

Update: 2024-10-08 07:12 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि वह मुंबई और महाराष्ट्र के अन्य जिलों में गड्ढों के मुद्दे पर एक जनहित याचिका (PIL) को पुनर्जीवित (Revives) करेगा।

आज चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस अमित बोरकर की खंडपीठ एडवोकेट रुजू ठक्कर द्वारा दायर अवमानना ​​याचिका पर फैसला सुना रही थी, जिसमें BMC और अन्य अधिकारियों द्वारा सड़कों की अच्छी स्थिति बनाए रखने के न्यायालय के आदेश का पालन न करने का आरोप लगाया गया।

कोर्ट ने अवमानना ​​याचिका का निपटारा किया। उन्होंने कहा कि मामले में शामिल व्यापक जनहित और मौलिक अधिकारों को देखते हुए वह जनहित याचिका को फिर से शुरू करेगा।

"हम इस अवमानना ​​याचिका का निपटारा करते हैं। इसमें शामिल व्यापक जनहित को देखते हुए हम मुख्य जनहित याचिका को फिर से खोलते हैं। इसमें सभी प्रतिवादियों को अपनी अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया जाता है।"

कोर्ट ने पिछली सुनवाई में संकेत दिया कि वह इस लंबे समय से चली आ रही याचिका का निपटारा करेगा, क्योंकि कोर्ट और अन्य अधिकारी मुख्य मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करने में असमर्थ थे। प्रत्येक सुनवाई के दौरान कई हस्तक्षेपकर्ता सामने आ रहे थे। कोर्ट ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में मामलों की सुनवाई करना मुश्किल होगा।

जस्टिस अभय ओक, जस्टिस शांतनु केमकर और तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता सहित हाईकोर्ट की कई पीठों ने मामले में आदेश पारित किए। याचिका में दावा किया गया कि सड़कों की खराब स्थिति और गड्ढों का मुद्दा हर साल दोहराया जाता है और विस्तृत निर्णयों के बावजूद, अधिकारियों द्वारा कोई अनुपालन नहीं किया जाता।

जस्टिस अभय ओक (अब सुप्रीम कोर्ट जज) के नेतृत्व वाली पीठ ने मई 2015 में कई याचिकाओं और 2013 से लंबित स्वतः संज्ञान जनहित याचिका पर विस्तृत निर्णय पारित किया। इसमें राज्य और नागरिक अधिकारियों को नागरिकों को गड्ढों से मुक्त सड़कें देने के लिए कई निर्देश दिए गए।

इसके अलावा, 2018 में स्वतः संज्ञान जनहित याचिका में न्यायालय ने सड़कों की खराब स्थिति पर ध्यान दिया। 24 फरवरी और 12 अप्रैल, 2018 के फैसले में कई निर्देश जारी किए। न्यायालय ने नगर निगमों, राज्य सरकार और अन्य अधिकारियों को गलियों, सड़कों और फुटपाथों को उचित स्थिति में बनाए रखने के निर्देश जारी किए थे।

2019 में एडवोकेट रुजू ठक्कर द्वारा उक्त निर्णय का पालन न करने का आरोप लगाते हुए एक अवमानना ​​याचिका दायर की गई थी।

न्यायालय मुख्य जनहित याचिका पर 3 दिसंबर, 2024 को सुनवाई करेगा।

केस टाइटल: रुजू आर. ठक्कर बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य।

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