हाईकोर्ट ने कॉलेज में पढ़ने वाली स्टूडेंट्स के लिए सुरक्षा उपाय करने की मांग वाली याचिका पर राज्य से जवाब मांगा

Update: 2024-08-31 06:23 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य से मुंबई के माटुंगा में कॉलेज में पढ़ने वाली स्टूडेंट्स की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में हलफनामा दाखिल करने को कहा।

विचाराधीन गर्ल्स कॉलेज का प्रबंधन सेवा मंडल एजुकेशन सोसाइटी (याचिकाकर्ता नंबर 2) द्वारा किया जाता है। याचिकाकर्ता-सोसाइटी ने तर्क दिया कि कॉलेज झुग्गी-झोपड़ियों से घिरा हुआ है इसलिए स्टूडेंट्स के लिए खतरे की संभावना है।

चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस अमित बोरकर की खंडपीठ ने टिप्पणी की,

"सभी स्टूडेंट्स और विशेष रूप से क्षेत्र की स्टूडेंट्स की सुरक्षा के लिए विशेष उपाय किए जाने की आवश्यकता है, क्योंकि याचिकाकर्ताओं ने उक्त रिट याचिका में दावा किया कि यह क्षेत्र झुग्गियों से घिरा है। स्टूडेंट्स की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाली शरारतों की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है।"

याचिकाकर्ता-सोसायटी ने कॉलेज के पास फुट-ओवर ब्रिज के निर्माण के बारे में भी चिंता जताई। यह तर्क दिया गया कि पुल का उपयोग स्टूडेंट के लिए सुरक्षा और सुरक्षा संबंधी चिताएं पैदा करता है।

सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि उसने पहले राज्य-प्रतिवादी को महिला स्टूडेंट्स की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए माटुंगा पुलिस द्वारा उठाए गए कदमों का ब्यौरा देते हुए हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था।

हलफनामे को पढ़ने के बाद न्यायालय ने पाया कि हलफनामे में केवल सामान्य उपाय शामिल हैं, जो पुलिस कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए करती है। इसने कहा कि हलफनामे में बटुंगा पुलिस द्वारा स्टूडेंट्स की सुरक्षा के लिए उठाए जाने वाले विशिष्ट उपायों के संबंध में कोई विशेष विवरण नहीं दिया गया।

कहा गया,

“हमने पाया कि कानून और व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने और पुलिस विभाग को सौंपे गए अन्य कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से निभाने के लिए किसी भी पुलिस स्टेशन द्वारा सामान्य रूप से उठाए जाने वाले कदमों और उपायों के संबंध में सामान्य दावे किए गए। हालांकि, याचिकाकर्ता नंबर 2-सेवा मंडल एजुकेशन सोसाइटी द्वारा प्रबंधित गर्ल्स कॉलेज में पढ़ने वाली स्टूडेंट की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाए जाने वाले विशिष्ट उपायों के बारे में उक्त हलफनामे में कोई विशेष विवरण नहीं दिया गया।”

इस प्रकार इसने राज्य-प्रतिवादी द्वारा अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें उन उपायों का विवरण हो जो स्थानीय पुलिस द्वारा महिला स्टूडेंट की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किए जा रहे हैं या लागू करने का इरादा है।

इसके अलावा, यह देखते हुए कि संबंधित फुटब्रिज का निर्माण पहले ही हो चुका है, न्यायालय ने कहा कि हलफनामे में उन उपायों को भी शामिल किया जाना चाहिए, जो स्थानीय पुलिस पुल के उपयोग के कारण महिला स्टूडेंट्स की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कर सकती है।

न्यायालय ने हलफनामा दो सप्ताह के भीतर दाखिल करने का निर्देश दिया। इसने कहा कि हलफनामे को दाखिल करने से पहले पुलिस आयुक्त द्वारा व्यक्तिगत रूप से जांचा जाना चाहिए।

केस टाइटल- गुजराती केलावानी मंडल एवं अन्य बनाम महाप्रबंधक, मध्य रेलवे एवं अन्य

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