बस स्टॉप्स पर पहुंच-योग्यता को लेकर दिव्यांग व्यक्तियों की शिकायतों पर शीघ्र निर्णय लें: बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सलाहकार बोर्ड को निर्देश दिया

बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार (17 अप्रैल) को राज्य सलाहकार बोर्ड ऑन डिसएबिलिटी को निर्देश दिया कि वह बस स्टॉप्स पर दिव्यांगजनों की पहुंच-योग्यता (Accessibility) से संबंधित शिकायतों पर शीघ्रता से विचार करे।
चीफ जस्टिस आलोक आराधे और जस्टिस एम.एस. कारनिक की खंडपीठ ने राज्य सलाहकार बोर्ड को निर्देश दिया कि वह दिव्यांगजनों की शिकायतों के निवारण के लिए उचित कार्रवाई करे।
कोर्ट स्वतः संज्ञान (Suo Motu) से दायर याचिका और जनहित याचिका (PIL) पर एक साथ सुनवाई कर रही थी। स्वतः संज्ञान याचिका फुटपाथों के प्रवेश द्वारों पर बोलार्ड्स (बाधक खंभों) के कारण दिव्यांगजनों को हो रही कठिनाइयों से संबंधित थी। पिछली सुनवाई के दौरान बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) ने अदालत को सूचित किया कि फुटपाथ के प्रवेश स्थलों से सभी बोलार्ड्स हटा दिए गए। BMC ने यह भी बताया कि यदि किसी को कोई शिकायत हो तो वह स्थानीय वार्ड कार्यालय के सहायक आयुक्त से संपर्क कर सकता है।
राज्य सरकार ने यह भी जानकारी दी थी कि राज्य सलाहकार बोर्ड ऑन डिसएबिलिटी का गठन किया गया है। उसकी बैठक भी आयोजित की गई जिसमें दिव्यांग व्यक्तियों के हित में नीतियों पर चर्चा की गई।
जनहित याचिका में मांग की गई कि मुंबई में बस स्टॉप्स और टर्मिनलों को लेकर 2021 के बाधा-मुक्त निर्मित पर्यावरण के लिए समरसित दिशानिर्देश एवं स्थान मानक (Harmonised Guidelines and Space Standards for Barrier Free Built Environment, 2021) को लागू किया जाए। इन दिशानिर्देशों के अनुसार बस स्टॉप पर चढ़ने और उतरने के बिंदु से लेकर पैदल मार्ग और फिर वहां से भवन के प्रवेश द्वार तक कम-से-कम एक सुलभ मार्ग उपलब्ध कराना अनिवार्य है। दिशानिर्देशों में स्थान, बस सीटें, शेल्टर आदि को लेकर भी मानक तय किए गए।
वर्तमान सुनवाई के दौरान BMC ने दोहराया कि दिव्यांगजनों के लिए बाधा उत्पन्न करने वाले सभी बोलार्ड्स हटा दिए गए। राज्य सरकार ने भी राज्य सलाहकार बोर्ड की बैठक की कार्यवृत्त (Minutes of Meeting) अदालत के समक्ष प्रस्तुत की।
इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने राज्य सलाहकार बोर्ड को निर्देश दिया कि वह जनहित याचिका में उठाई गई मांगों पर विचार करे, जो बस स्टॉप्स पर पहुंच-योग्यता से संबंधित हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि कोई व्यक्ति असंतुष्ट हो तो वह राज्य सलाहकार बोर्ड के समक्ष अपनी शिकायत रख सकता है।
इन टिप्पणियों के साथ कोर्ट ने याचिकाओं का निपटारा कर दिया।