एचआईवी ग्रस्त सब इंस्पेक्टर अगर मेडिकल फिटनेस की अर्हता पूरा नहीं कर पाने के कारण प्रोन्नति नहीं पाता है तो यह भेदभाव नहीं : उत्तराखंड हाईकोर्ट [निर्णय पढ़ें]

Update: 2018-08-12 11:02 GMT
एचआईवी ग्रस्त सब इंस्पेक्टर अगर मेडिकल फिटनेस की अर्हता पूरा नहीं कर पाने के कारण प्रोन्नति नहीं पाता है तो यह भेदभाव नहीं : उत्तराखंड हाईकोर्ट [निर्णय पढ़ें]

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हाल ही में एचआईवी पॉजिटिव सहायक सब इंस्पेक्टर की प्रोन्नति के मामले में यह कहते हुए मदद करने से मना कर दिया कि अगर फिटनेस की अर्हता पूरा नहीं करने के कारण उसको पदोन्नति नहीं दी गई है तो यह भेदभाव नहीं है।

 न्यायमूर्ति आलोक सिंह ने सशस्त्र सीमा बल में एएसआई की याचिका पर सुनवाई करे हुए यह फैसला दिया। याचिकाकर्ता ने कोम्बेटाइज्ड सब इंस्पेक्टर के पद (सामान्य ड्यूटी) के लिए प्रशिक्षण पूरा कर लिया था पर उसको पदोन्नति नहीं दी गई क्योंकि उसका मेडिकल फिटनेस स्टेटस P2(P) यानी शेप-2 है जबकि पदोन्नति के लिए यह शेप-1 होना चाहिए।

एएसआई ने अब एचआईवी एड्स (निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 2017 की धारा 3 पर भरोसा कर रहा है जिसमें एचआईवी से ग्रस्त लोगों के साथ भेदभाव नहीं करने का प्रावधान है।

 दूसरी ओर, प्राधिकरण ने सशस्त्र सीमा बल कोम्बेटाइज्ड सब इंस्पेक्टर के पद (सामान्य ड्यूटी) समूह बी अराजपत्रित पद भर्ती नियम, 2009 का सहारा लिया जिसमें कहा गया है कि सिर्फ शेप-1 मेडिकल श्रेणी वालों को ही पदोन्नति दी जा सकती है।

 कोर्ट ने अथॉरिटीज के इस बात से सहमति जताई कि उसको पदोन्नति नहीं देकर उसके साथ कोई भेदभाव नहीं किया जा रहा है और यह कोर्ट आवेदनकर्ता को कोई राहत नहीं दिला सकता। 

इसके बाद कोर्ट ने याचिका में मेरिट नहीं होने की वजह से उसे निरस्त कर दिया।


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