इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 9149 ट्रायल कोर्ट बनाने के लिए जनहित याचिका के रजिस्ट्रेशन का निर्देश दिया, कहा- मामला आम जनता के हित में
Amir Ahmad
28 Jan 2025 4:10 PM IST

14 साल पुराने आपराधिक पुनर्विचार मामले में तेजी लाने की याचिका में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रजिस्ट्री को ट्रायल न्यायपालिका में न्यायालयों के निर्माण से संबंधित जनहित याचिका रजिस्टर करने और उचित निर्देशों के लिए इसे चीफ जस्टिस के समक्ष रखने का निर्देश दिया।
जस्टिस राजीव सिंह ने कहा,
"इस न्यायालय का विचार है कि 9149 न्यायालयों के निर्माण से संबंधित मुद्दा आम जनता के हित से संबंधित है। इसलिए रजिस्ट्री को जनहित याचिका को अलग मामले के रूप में रजिस्टर करने और उचित निर्देशों के लिए इसे चीफ जस्टिस के समक्ष रखने का निर्देश दिया जाता है।"
धारा 145 CrPC के तहत कार्यवाही शुरू की गई, जिसमें पारित आदेश को आपराधिक प्री-ट्रायल में चुनौती दी गई। चूंकि आपराधिक पुनर्विचार 14 वर्षों से लंबित था, इसलिए हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव, विधि/विधिक स्मरण द्वारा व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।
आदेश में न्यायालय ने लंबित मुकदमों की भारी संख्या के लिए अपर्याप्त न्यायिक शक्ति के मुद्दे पर अखिल भारतीय जज संघ एवं अन्य बनाम भारत संघ में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का संदर्भ दिया। 120वें विधि आयोग की रिपोर्ट में प्रति 10 लाख लोगों पर 50 जजों के अनुपात की सिफारिश की गई।
न्यायालय ने उल्लेख किया कि प्रमुख सचिव द्वारा दाखिल हलफनामे के अनुसार, इम्तियाज अहमद बनाम उत्तर प्रदेश राज्य में सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्येक न्यायालय के मुकदमों के निपटान के लिए आवश्यक न्यायिक घंटों की कुल संख्या निर्धारित करने में वैज्ञानिक पद्धति के उपयोग की अनुमति दी। उसी के अनुसरण में हाईकोर्ट ने कुल 9149 न्यायालयों के निर्माण का प्रस्ताव दिया, जिसमें वित्त विभाग ने चरणबद्ध दृष्टिकोण अपनाने की सलाह दी।
मुख्य सचिव ने अपने हलफनामे में माना कि न्यायालयों के निर्माण के लिए हाईकोर्ट के अनुरोध पर 22.04.2024 को विचार किया गया। पहले चरण में 2693 पदों का सृजन किया जाना था। अतिरिक्त मुख्य सचिव ने अपने हलफनामे में कहा कि इम्तियाज अहमद के दिशानिर्देशों पर 15.10.2024 को हुई बैठक में विचार किया गया।
न्यायालय ने सोनू अग्निहोत्री बनाम चंद्रशेखर एवं अन्य का हवाला दिया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने देखा कि अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ में न्यायाधीश-जनसंख्या अनुपात को बढ़ाकर 50 प्रति मिलियन करने का निर्देश दिया गया। हालांकि, न्यायालय ने कहा कि 25 प्रति मिलियन का अनुपात 2024 तक हासिल नहीं किया जा सका।
जस्टिस सिंह ने कहा कि कार्यवाही में तेजी लाने के निर्देश के लिए कई याचिकाएं दायर की जा रही हैं। हालांकि, सोनू अग्निहोत्री मामले में अखिल भारतीय न्यायाधीशों के निर्देशों का आज तक अनुपालन नहीं किया गया।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य बनाम नीरज चौबे एवं अन्य मामले में किसी मामले को जनहित याचिका में बदलने के लिए निर्धारित कानून को ध्यान में रखते हुए साथ ही न्यायिक प्रणाली पर इस मुद्दे के व्यापक प्रभाव के कारण बार के सदस्यों द्वारा किए गए अनुरोध पर न्यायालय ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह जनहित याचिका को अलग मामले के रूप में रजिस्टर्ड करे और उचित निर्देश के लिए इसे मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखे।
केस टाइटल: कृष्ण चंद्र सिंह @ मुन्ना सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के माध्यम से प्रधान सचिव राजस्व लखनऊ एवं अन्य [आवेदन धारा 483 नंबर - 453 वर्ष 2024]

