इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यति नरसिंहानंद X पोस्ट मामले में मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी पर रोक बढ़ाई

Amir Ahmad

27 Jan 2025 6:23 AM

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यति नरसिंहानंद X पोस्ट मामले में मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी पर रोक बढ़ाई

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यति नरसिंहानंद पर कथित एक्स पोस्ट 'X' (पूर्व में ट्विटर) को लेकर उनके खिलाफ दर्ज FIR के संबंध में ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी पर रोक 10 फरवरी तक बढ़ाई।

    जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने राहत बढ़ा दी।

    16 जनवरी को राज्य सरकार ने जुबैर के वकील द्वारा दायर किए गए जवाब के साथ-साथ दायर किए गए बयानों और दस्तावेजों को सत्यापित करने के लिए समय मांगा।

    बता दें कि जुबैर पर गाजियाबाद पुलिस ने अक्टूबर 2024 में एक FIR दर्ज की, जिसमें उन पर विवादित पुजारी यति नरसिंहानंद के सहयोगी की शिकायत के बाद धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया। जुबैर ने FIR को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया।

    20 दिसंबर को हाईकोर्ट ने मौखिक रूप से यह कहते हुए कि वह कोई खूंखार अपराधी नहीं है। 6 जनवरी तक उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। जुबैर ने कथित तौर पर 3 अक्टूबर को कई वीडियो पोस्ट किए। पहले ट्वीट में एक वीडियो था जिसमें डासना देवी मंदिर के पुजारी यति नरसिंहानंद पैगंबर मोहम्मद के बारे में कथित भड़काऊ टिप्पणी करते हुए दिखाई दे रहे थे। उन्होंने यूपी पुलिस को भी टैग करते हुए पूछा कि यति के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई। अपने X पोस्ट में उन्होंने नरसिंहानंद के कथित भाषण को अपमानजनक बताया।

    इसके अनुसार यति नरसिंहानंद सरस्वती ट्रस्ट की महासचिव डॉ. उदिता त्यागी ने जुबैर के खिलाफ FIR दर्ज कराई, जिसमें दावा किया गया कि उन्होंने पुजारी के पुराने और संपादित क्लिप को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया। इसमें पैगंबर मुहम्मद पर नरसिंहानंद की कथित भड़काऊ टिप्पणी थी जिससे विवादास्पद पुजारी के खिलाफ कट्टरपंथी भावनाएं भड़काई जा सकें। FIR को चुनौती देते हुए जुबैर ने हाईकोर्ट का रुख किया और कहा कि उनके एक्स पोस्ट में यति के खिलाफ हिंसा का आह्वान नहीं किया गया।

    उन्होंने केवल पुलिस अधिकारियों को नरसिंहानंद की हरकतों के बारे में सचेत किया। उन्होंने कानून के अनुसार कार्रवाई की मांग की, और यह दो वर्गों के लोगों के बीच वैमनस्य या दुर्भावना को बढ़ावा देने के बराबर नहीं हो सकता। हालांकि जुबैर का मामला यह है कि वह यति नरसिंहानंद के कथित विवादास्पद भाषण का जिक्र करके और उनके आचरण को उजागर करके अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग कर रहे थे, न केवल खुद बल्कि उसी मुद्दे पर पोस्ट किए गए कई नए लेखों और सोशल मीडिया अकाउंट्स पर और जुबैर ने कुछ भी अलग नहीं कहा था।

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