SRM यूनिवर्सिटी विध्वंस विवाद | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज़िला मजिस्ट्रेट द्वारा अंतरिम राहत याचिका पर निर्णय होने तक बलपूर्वक कार्रवाई पर रोक लगाई
Amir Ahmad
11 Sept 2025 3:42 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ पीठ) ने बुधवार को श्री रामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी (SRM) बाराबंकी के विरुद्ध चल रही विध्वंस कार्रवाई सहित बलपूर्वक कार्रवाई पर रोक लगाई। यह रोक उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 67 के तहत पारित बेदखली और दंडात्मक आदेश के अनुसरण में लगाई गई।
जस्टिस आलोक माथुर की पीठ ने यह आदेश श्री रामस्वरूप मेमोरियल एजुकेशनल ट्रस्ट लखनऊ द्वारा अपने प्रबंध न्यासी के माध्यम से दायर रिट याचिका पर पारित किया, जिसमें यूनिवर्सिटी परिसर के एक हिस्से को ध्वस्त करने की राज्य सरकार की कार्रवाई को चुनौती दी गई।
अदालत ने यह व्यवस्था दी है कि ज़िला मजिस्ट्रेट लखनऊ द्वारा ट्रस्ट की अंतरिम राहत याचिका और 2006 संहिता की धारा 67 के तहत उसके विरुद्ध पारित आदेश के विरुद्ध उसकी अपील पर निर्णय होने तक बलपूर्वक कार्रवाई पर रोक रहेगी।
संक्षेप में याचिकाकर्ताओं ने पीठ को बताया कि सहायक कलेक्टर, प्रथम श्रेणी, तहसील नवाबगंज जिला बाराबंकी ने 25 अगस्त, 2025 को ट्रस्ट के विरुद्ध बेदखली का आदेश पारित किया। इसकी प्रमाणित प्रति 4 सितंबर को प्राप्त हुई।
इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने 6 सितंबर को संबंधित जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष उस आदेश के विरुद्ध अपील दायर की। अब मामले की सुनवाई 25 सितंबर को निर्धारित है।
इस बीच यूनिवर्सिटी परिसर के एक हिस्से को कथित तौर पर ध्वस्त करने का काम शुरू हो गया, जिसके कारण ट्रस्ट ने अत्यावश्यकता के आधार पर हाईकोर्ट का रुख किया।
बुधवार को याचिकाकर्ताओं के वकील ने दलील दी कि यदि अंतरिम राहत के लिए उनके आवेदन (अपील के साथ दायर) पर शीघ्र विचार किया जाता है तो उनकी शिकायत का पर्याप्त समाधान हो जाएगा। राज्य ने इस प्रार्थना पर कोई आपत्ति नहीं जताई।
तदनुसार, न्यायालय ने रिट याचिका का निपटारा कर दिया और याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वह अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए आवश्यक सभी सामग्री 15 सितंबर तक एक पूरक हलफनामा दाखिल करके प्रस्तुत करे।
इसके बदले में न्यायालय ने अपील/राज्य के प्रतिवादियों से 18 सितंबर तक अपना जवाब दाखिल करने और याचिकाकर्ताओं/अपीलकर्ताओं को एक कॉपी देने को कहा है।
इसके अलावा पीठ ने जिला मजिस्ट्रेट को पहले से तय तारीख (25 सितंबर) पर अंतरिम राहत के आवेदन पर पक्षकारों की सुनवाई करने और तय तारीख पर अंतरिम राहत के आवेदन का निपटारा करने का निर्देश दिया।
न्यायालय ने आगे कहा,
"यदि किसी कानूनी बाधा या अन्य ठोस कारण से मामले को स्थगित करना पड़ता है तो वह अपनी सुविधानुसार और पक्षकारों की सुविधानुसार अगले दस दिनों के भीतर कोई अन्य तारीख तय करने के लिए स्वतंत्र होंगे। उस तारीख को कानून के अनुसार अंतरिम राहत के आवेदन का निपटारा करेंगे।"
इन निर्देशों के मद्देनजर न्यायालय ने यह भी प्रावधान किया कि जब तक अपीलीय प्राधिकारी द्वारा उचित आदेश पारित नहीं किए जाते, तब तक 25 अगस्त के आदेशों के अनुसरण में याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।

