श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद: दस्तावेज़ों की सुरक्षा के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट का रिकॉर्ड्स डिजिटाइज़ करने का निर्देश
Amir Ahmad
16 Oct 2025 3:46 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में रजिस्ट्रार (न्यायिक) (कंप्यूटर) को श्री कृष्ण जन्मभूमि टाइटल विवाद से संबंधित सभी रिकॉर्ड्स के डिजिटलीकरण के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया ताकि मामले के दस्तावेजों की सुरक्षा और संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके।
यह आदेश जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ ने पारित किया, जिन्हें अब हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में स्थानांतरित कर दिया गया है।
हाईकोर्ट वर्तमान में कृष्ण जन्मभूमि टाइटल विवाद से संबंधित 18 सिविल मुकदमों की सुनवाई कर रहा है। इन सभी मुकदमों में एक सामान्य प्रार्थना यह की गई कि मथुरा में कटरा केशव देव मंदिर के साथ 13.37 एकड़ परिसर को साझा करने वाली शाही ईदगाह मस्जिद को वहाँ से हटा दिया जाए। इसके अतिरिक्त, याचिकाकर्ता शाही ईदगाह परिसर पर कब्ज़ा और वर्तमान ढाँचे को ध्वस्त करने की मांग कर रहे हैं।
पिछला घटनाक्रम: पिछले साल अगस्त में हाईकोर्ट ने मथुरा स्थित शाही ईदगाह मस्जिद समिति द्वारा दायर CPC के आदेश 7 नियम 11 के तहत दायर याचिका खारिज कर दी थी।
इस याचिका में हिंदू उपासकों और श्री कृष्ण विराजमान द्वारा दायर 18 मुकदमों की सुनवाई योग्यता (Maintainability) को चुनौती दी गई थी।
पिछले महीने हाईकोर्ट ने एक आवेदन खारिज कर दिया, जिसमें याचिका संख्या 7 में भगवान श्री कृष्ण लाला विराजमान के अगले मित्र (next friend) के रूप में श्री कौशल किशोर ठाकुर जी को हटाने की मांग की गई थी।
हाल ही में हाईकोर्ट ने एक और आवेदन खारिज कर दिया, जिसमें भविष्य की सभी कार्यवाही में शाही ईदगाह मस्जिद' शब्द को 'विवादास्पद ढाँचा' शब्द से प्रतिस्थापित करने की मांग की गई थी।
विवाद की पृष्ठभूमि
यह विवाद मथुरा में मुगल सम्राट औरंगजेब के काल की शाही ईदगाह मस्जिद से संबंधित है। आरोप है कि इस मस्जिद का निर्माण भगवान कृष्ण के जन्मस्थान पर स्थित एक मंदिर को ध्वस्त करने के बाद किया गया था।
1968 में मंदिर प्रबंधन प्राधिकरण श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह के बीच 'समझौता' हुआ था, जिससे दोनों पूजा स्थलों को एक साथ संचालित करने की अनुमति मिली थी।
हालाँकि, अब नए मुकदमों में इस समझौते की वैधता को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यह समझौता धोखाधड़ी से किया गया था और कानून में अमान्य है।
मई, 2023 में हाईकोर्ट ने विवाद से संबंधित विभिन्न राहतों की मांग करने वाले मथुरा कोर्ट के समक्ष लंबित सभी मुकदमों को अपने पास स्थानांतरित कर लिया था। इस स्थानांतरण आदेश को मस्जिद समिति और बाद में उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
दिसंबर, 2023 में हाईकोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद का निरीक्षण करने के लिए एक कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति की मांग वाली याचिका को अनुमति दी थी। हालाँकि, जनवरी, 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी जिसे बाद में बढ़ा दिया गया।
हाईकोर्ट का डिजिटलीकरण का निर्देश इस बहुचर्चित और संवेदनशील मामले के दस्तावेजों के रिकॉर्ड को सुरक्षित और व्यवस्थित रखने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

