भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले अपराध को लागू करने से पहले उचित सावधानी बरतनी चाहिए: इलाहाबाद हाईकोर्ट
Amir Ahmad
11 July 2025 12:08 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 152 को लागू करने से पहले उचित सावधानी और एक समझदार व्यक्ति के मानकों का पालन किया जाना चाहिए, जो भारत की संप्रभुता एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कथित कृत्यों को आपराधिक बनाती है।
न्यायालय ने आगे कहा कि सोशल मीडिया पर बोले गए शब्द या पोस्ट भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत आते हैं, इसलिए इन्हें संकीर्ण रूप से नहीं समझा जाना चाहिए, जब तक कि वे ऐसी प्रकृति के न हों, जो किसी देश की संप्रभुता और अखंडता को प्रभावित करते हों या अलगाववाद को बढ़ावा देते हों।
जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की पीठ ने यह टिप्पणी एक 18 वर्षीय लड़के को BNS की धारा 152 और 196 के तहत ज़मानत देते हुए की जिस पर कथित तौर पर इंस्टाग्राम स्टोरी पोस्ट करने का आरोप है, जिसमें लिखा था चाहे जो हो जय स्पोर्ट तो बस पाकिस्तान का करेंगे।
न्यायालय ने कहा कि BNS की धारा 152 के तहत अपराध करने के लिए मौखिक या लिखित शब्दों संकेतों, दृश्य चित्रणों, इलेक्ट्रॉनिक संचार के माध्यम से अलगाव, सशस्त्र विद्रोह, विध्वंसक गतिविधियों को बढ़ावा देने या अलगाव की भावना को बढ़ावा देने या भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने का कोई उद्देश्य होना चाहिए।
उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी देश के प्रति समर्थन दिखाने के लिए केवल एक संदेश पोस्ट करने से भारत के नागरिकों में गुस्सा या वैमनस्य पैदा हो सकता है। यह BNS की धारा 196 के तहत दंडनीय भी हो सकता है, जिसमें सात साल तक की सजा हो सकती है, लेकिन निश्चित रूप से BNS की धारा 152 के तहत अपराध नहीं होगा।
इस संबंध में इमरान प्रतापगढ़ी बनाम गुजरात राज्य 2025 लाइव लॉ (SC) 362 में सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णय का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने रेखांकित किया कि विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हमारे संविधान के आधारभूत आदर्शों में से एक है।
न्यायालय ने कहा,
"BNS की धारा 152 लागू करने से पहले उचित सावधानी और विवेकशील व्यक्ति के मानकों को अपनाया जाना चाहिए। BNS की धारा 152 कठोर दंड के साथ एक नया प्रावधान है, उसको लापरवाही से लागू नहीं किया जाना चाहिए।"
तथ्यों के आधार पर न्यायालय ने पाया कि आवेदक ने भारत के नाम ध्वज या छवि का अनादर करने वाली कोई भी सामग्री पोस्ट नहीं की थी। न्यायालय ने कहा कि किसी भी घटना या भारत का उल्लेख किए बिना, केवल पाकिस्तान का समर्थन करना, प्रथम दृष्टया BNS की धारा 152 के अंतर्गत नहीं आएगा।

