लोकसभा चुनाव 2024: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने PM Modi के खिलाफ चुनाव लड़ने की मंशा रखने वाले नेता से चुनाव याचिका दायर करने में 19 दिन की देरी पर सवाल किया

Amir Ahmad

21 Sep 2024 7:56 AM GMT

  • लोकसभा चुनाव 2024: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने PM Modi के खिलाफ चुनाव लड़ने की मंशा रखने वाले नेता से चुनाव याचिका दायर करने में 19 दिन की देरी पर सवाल किया

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को जनहित किसान पार्टी (JKP) के नेता से, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़ने की मंशा रखते थे, चुनाव याचिका दायर करने में 19 दिन की देरी पर सवाल किया, जिसमें रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा उनके नामांकन फॉर्म को खारिज किए जाने को चुनौती दी गई थी।

    जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह की पीठ ने चुनाव याचिकाकर्ता (विजय नंदन) को जो व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए थे, इस पहलू के संबंध में कानूनी राय प्राप्त करने के लिए समय (18 अक्टूबर तक) दिया।

    यह ध्यान देने योग्य है कि मध्य प्रदेश के सिवनी जिले से आने वाले JKP नेता विजय नंदन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया कि जिला चुनाव अधिकारी ने उनके नामांकन पत्र को इस आधार पर गलत तरीके से खारिज कर दिया कि हलफनामे का कॉलम खाली छोड़ दिया गया> कोई नया हलफनामा दाखिल नहीं किया गया था और न ही शपथ/प्रतिज्ञान कराया गया।

    याचिकाकर्ता का तर्क है कि संबंधित सहायक रिटर्निंग अधिकारी द्वारा चेकलिस्ट पर मौजूद दस्तावेजों को ठीक से प्राप्त किए जाने के बाद भारत के चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार रिटर्निंग अधिकारी और सहायक रिटर्निंग अधिकारी उम्मीदवार को शपथ/प्रतिज्ञान दिलाने के लिए जिम्मेदार थे।

    याचिका में कहा गया कि शपथ लेने के बाद रसीद सील पर हस्ताक्षर करके उम्मीदवार को दिया जाना था। हालांकि, ऐसा नहीं किया गया और उनके नामांकन पत्र को मनमाने ढंग से खारिज कर दिया गया।

    शुक्रवार को एकल न्यायाधीश के समक्ष मामला सुनवाई के लिए आया तो पाया गया कि याचिका 7 अगस्त 2024 को 19 दिन की देरी से दायर की गई थी।

    न्यायालय ने यह भी देखा कि हालांकि चुनाव याचिका के साथ देरी के लिए माफी मांगने वाली अर्जी दायर की गई लेकिन वह अर्जी अपने आप में स्वीकार्य नहीं हो सकती।

    बता दें कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 81 चुनाव याचिका दायर करने के लिए निर्वाचित उम्मीदवार के वापस आने की तारीख से 45 दिन की अवधि प्रदान करती है।

    इसके अलावा धारा 86 के तहत हाईकोर्ट को उन चुनाव याचिकाओं को खारिज करना होगा जो धारा 81, 82 और 117 का अनुपालन नहीं करती हैं।

    इस मामले में उक्त 45-दिवसीय अवधि 19 जुलाई 2024 को समाप्त हो गई (क्योंकि भारत के चुनाव आयोग ने 4 जून को वाराणसी सीट के लिए परिणाम घोषित किए थे)। याचिकाकर्ता ने 7 अगस्त को तत्काल चुनाव याचिका दायर की। इसलिए देरी (20 जुलाई से गिनती) 19 दिनों की हुई।

    याचिका में कहा गया कि रिटर्निंग ऑफिसर के नामांकन फॉर्म अस्वीकृति आदेश (दिनांक 15 मई, 2024) को ध्यानपूर्वक और विस्तृत रूप से पढ़ने से लिपिकीय गलती का पता चलता है, जिसे जांच के समय सुधारा जा सकता था।

    याचिका में तर्क दिया गया कि रिटर्निंग ऑफिसर ने ऐसा न करके अवैधानिकता की है। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि किसी भी नामांकन फॉर्म को तभी खारिज किया जा सकता है जब घोषणा देने में कोई तथ्य छिपा हो लेकिन वर्तमान मामले में पूरे विवादित आदेश में कहीं भी यह उल्लेख नहीं किया गया कि याचिकाकर्ता ने उम्मीदवारी प्रस्तुत करते समय कोई जानकारी छिपाई है।

    याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि यदि हलफनामे का कॉलम खाली छोड़ा गया तो रिटर्निंग अधिकारी का यह कर्तव्य था कि वह गलती को सुधारे। लिपिकीय त्रुटि को दूर करने के बजाय, रिटर्निंग अधिकारी ने प्राकृतिक न्याय का घोर उल्लंघन करते हुए याचिकाकर्ता की उम्मीदवारी/नामांकन फॉर्म को खारिज कर दिया, जो न्यायोचित नहीं है।

    याचिका में कहा गया,

    “यदि रिटर्निंग अधिकारी ने अवैध रूप से और कानून के अनुरूप काम किया होता तो वह याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत नामांकन फॉर्म को स्वीकार कर लेता और उसे चुनाव लड़ने की अनुमति देता। याचिकाकर्ता को चुनाव लड़ने के उसके बहुमूल्य अधिकार से वंचित करके प्रतिवादी नंबर 4 ने कानून के विपरीत काम किया। उसके निर्णय पर माननीय न्यायालय द्वारा हस्तक्षेप किया जाना चाहिए।”

    याचिका में यह भी कहा गया कि सहायक रिटर्निंग अधिकारी ने चुनाव आयोग के नियमों का पालन नहीं किया। यही कारण है कि सहायक रिटर्निंग अधिकारी चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार आपराधिक दंड के पात्र हैं।

    याचिका में आगे कहा गया,

    "भारत के 140 करोड़ नागरिक माननीय चुनाव आयोग पर भरोसा करते हैं और अपने देश के प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को चुनने के लिए लोकसभा चुनाव में सांसदों को वोट देते हैं, जो देश का विकास कर सकें, जिसमें जिला चुनाव अधिकारी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। लेकिन वाराणसी जिला चुनाव अधिकारी ने भारत के 140 करोड़ नागरिकों का भरोसा तोड़कर विशेष व्यक्ति को लाभ पहुंचाने के लिए सभी नियमों का उल्लंघन किया है।"

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस के अजय राय को 152,513 मतों से हराकर वाराणसी सीट जीती। 2014 के बाद से यह उनकी सबसे कम अंतर से जीती गई सीट थी। पीएम मोदी सहित सात उम्मीदवारों ने वाराणसी सीट से चुनाव लड़ा था, क्योंकि DEO ने 36 नामांकन पत्रों को खारिज कर दिया था।

    केस टाइटल - विजय नंदन बनाम मुख्य चुनाव आयुक्त चुनाव आयोग

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