प्रयागराज के वकील 58% कार्य दिवसों तक हड़ताल पर रहे: हाईकोर्ट ने जिला बार एसोसिएशन को 'अवमानना' पर कारण बताओ नोटिस जारी किया

Shahadat

5 Jun 2024 4:05 AM GMT

  • प्रयागराज के वकील 58% कार्य दिवसों तक हड़ताल पर रहे: हाईकोर्ट ने जिला बार एसोसिएशन को अवमानना पर कारण बताओ नोटिस जारी किया

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला न्यायालय बार एसोसिएशन, प्रयागराज के अध्यक्ष और सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी किया कि 1 जुलाई 2023 से 30 अप्रैल 2024 के बीच 127 दिनों तक जिला न्यायालय प्रयागराज की कार्यवाही में "बाधा" डालने के लिए उनके खिलाफ अवमानना ​​की कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए।

    जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस मोहम्मद अजहर हुसैन इदरीसी की पीठ ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष, यूपी बार काउंसिल के अध्यक्ष, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और अधिवक्ता संघ से "उत्तर प्रदेश के जिला न्यायालयों में हड़ताल की समस्या को तत्काल समाप्त करने के लिए सिस्टम विकसित करने" में न्यायालय की सहायता करने को कहा।

    उल्लेखनीय है कि न्यायालय ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया कि वे राज्य के सभी जिला जजों से एक महीने में वास्तविक कार्य दिवसों की संख्या और 1 जुलाई 2023 से 30 अप्रैल 2024 के बीच काम से विरत रहने/हड़ताल के संबंधित दिनों के बारे में अगली निर्धारित तिथि तक रिपोर्ट प्राप्त करें।

    न्यायालय ने चीफ जस्टिस के आदेश के तहत दर्ज आपराधिक अवमानना ​​मामले में जिला जज, प्रयागराज से रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद यह आदेश पारित किया, जिसमें 1 जुलाई 2023 से 30 अप्रैल 2024 के बीच प्रयागराज में जिला जज के रूप में काम किए गए दिनों को निर्दिष्ट किया गया।

    रिपोर्ट से पता चला कि जुलाई 2023 से अप्रैल 2024 के बीच जिला न्यायालय प्रयागराज में कुल कार्य दिवसों की संख्या 218 थी और उनमें से 127 दिन वकीलों ने काम से विरत रहे या हड़ताल का सहारा लिया, जिससे न्यायिक कार्यवाही और न्याय प्रशासन बुरी तरह बाधित हुआ।

    रिपोर्ट में कहा गया कि प्रतिशत के हिसाब से जिला न्यायालय प्रयागराज का वास्तविक कार्य 41.74% था, जबकि हड़ताल/कार्य से विरत रहना 58.26% था।

    पिछले सप्ताह मामले की सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने कहा कि हड़ताल के आंकड़े स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि हड़ताल/कार्य से विरत रहने की समस्या ने “जिला न्यायालय प्रयागराज में न्याय व्यवस्था को लगभग पंगु बना दिया।”

    न्यायालय ने कहा,

    “10 महीनों की अवधि में लगभग 60% कार्य दिवसों के लिए नियमित रूप से हड़ताल करना यह दर्शाता है कि प्रयागराज में जज अपनी क्षमता के लगभग 40% पर काम कर रहे हैं। वादियों और न्याय के कारण को अपूरणीय क्षति पहुंचती है। उपरोक्त आंकड़े स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि वकीलों द्वारा अंधाधुंध हड़ताल के कारण जिला न्यायालय का कामकाज काफी हद तक पंगु हो गया है।”

    न्यायालय ने यह भी कहा कि जिला न्यायालय बार एसोसिएशन, प्रयागराज का कृत्य न केवल न्याय प्रशासन में घोर हस्तक्षेप है। इस प्रकार न्यायालय की अवमानना ​​है, बल्कि यह उस ढांचे को भी “क्षतिग्रस्त” करता है, जिस पर कानून का शासन टिका हुआ है।

    न्यायालय ने इस बात पर भी जोर दिया कि वकीलों द्वारा हड़ताल से संबंधित कानून सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए कई निर्णयों में तय किया गया, जिसमें पूर्व कैप्टन हरीश उप्पल बनाम भारत संघ (2003) भी शामिल है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वकीलों को हड़ताल करने या सांकेतिक हड़ताल करने या हड़ताल का आह्वान करने का कोई अधिकार नहीं है।

    इस पृष्ठभूमि में न्यायालय ने जिला न्यायालय बार एसोसिएशन, प्रयागराज के अध्यक्ष और सचिव को नोटिस जारी कर पूछा है कि 1 जुलाई, 2023 से 30 अप्रैल 2024 के बीच जिला न्यायालय प्रयागराज की कार्यवाही में बाधा डालने के लिए उनके खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए।

    मामले की सुनवाई 8 जुलाई को होगी।

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