इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महात्मा गांधी के खिलाफ टिप्पणी करने के आरोपी ADGC को बहाल किया
Amir Ahmad
27 Jan 2025 6:19 AM

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह राज पाल सिंह दिशवार को सहायक जिला सरकारी वकील (क्रिमिनल) के पद पर बहाल करने का आदेश दिया, जिनकी सेवाएं कथित तौर पर राष्ट्रपिता (महात्मा गांधी) के खिलाफ कुछ आपत्तिजनक टिप्पणी करने के कारण समाप्त कर दी गई थीं।
जस्टिस शेखर बी. सराफ और जस्टिस क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ पूरी कार्रवाई दुर्भावना से भरी हुई प्रतीत होती है।
खंडपीठ ने अपने आदेश में टिप्पणी की,
"यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता को पैनल से बाहर करने के लिए कुछ अस्पष्ट सामग्री, जिसकी प्रामाणिकता जांच रिपोर्ट में उल्लेखित जांच में भी स्थापित नहीं की गई, का उपयोग याचिकाकर्ता के हितों के लिए नुकसानदेह तरीके से किया गया।"
इसके अलावा इस बात पर जोर देते हुए कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कोई अन्य सामग्री उचित नहीं हो सकती, न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा याचिकाकर्ता की ADGC (क्रिमिनल) के रूप में तत्काल अटैचमेंट समाप्त करने का आदेश पारित करना उचित नहीं था।
इसे अलग रखते हुए न्यायालय ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को तीन सप्ताह के भीतर ADGC (क्रिमिनल) के पद पर हाथरस में बहाल किया जाए।
न्यायालय ने यह आदेश याचिकाकर्ता द्वारा अपील पर पारित किया जिसमें आदेश को चुनौती दी गई।
उनका कहना था कि यह आदेश जिला मजिस्ट्रेट, हाथरस द्वारा विशेष सचिव, विधि विभाग को भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर पारित किया गया, जिसमें सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट और सर्कल ऑफिसर वाली दो सदस्यीय समिति की जांच रिपोर्ट संलग्न थी।
उनका कहना था कि जांच रिपोर्ट की पूरी सामग्री यह दर्शाती है कि वीडियो, जिसे कथित तौर पर जांच समिति के समक्ष प्रदर्शित किया गया, में स्रोत का उल्लेख नहीं किया गया कि इसे किसने रिकॉर्ड किया था और जांच समिति को यह कैसे मिला।
यह भी आग्रह किया गया कि आरोपित आदेश पारित किया गया, जिसमें गलत टिप्पणी की गई कि याचिकाकर्ता ने राष्ट्रपिता (महात्मा गांधी) के खिलाफ कुछ आपत्तिजनक टिप्पणियां की हैं।
सरकारी वकील ने प्रस्तुत किया कि पूरी कार्रवाई जांच रिपोर्ट पर आधारित थी उन्होंने बहुत ही उचित रूप से प्रस्तुत किया कि न तो याचिकाकर्ता को जांच समिति के समक्ष अपना बचाव करने का अवसर दिया गया और न ही किसी भी बिंदु पर वीडियो की प्रामाणिकता की जाँच की गई।
दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार करते हुए न्यायालय ने याचिकाकर्ता की रिट याचिका को स्वीकार कर लिया तथा उसे बहाली की राहत प्रदान की।
केस टाइटल- राज पाल सिंह दिशवार बनाम यूपी राज्य और 3 अन्य 2025 लाइव लॉ (एबी) 37