इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अंतर-धार्मिक लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे विवाहित व्यक्तियों की सुरक्षा याचिका को 50 हजार के जुर्माने के साथ खारिज किया
Amir Ahmad
13 Jan 2025 7:07 AM

हाईकोर्ट ने हाल ही में पुलिस विभाग में कार्यरत विवाहित महिला, जो वर्तमान में चाइल्डकैअर लीव पर है तथा उसके साथ रहने वाले उसके साथी, जो अन्य महिला से विवाहित है तथा 12 वर्षीय बच्चे का पिता है, द्वारा दायर सुरक्षा याचिका खारिज की तथा याचिकाकर्ताओं पर 50,000 का जुर्माना लगाया।
जस्टिस विनोद दिवाकर की पीठ ने याचिकाकर्ताओं पर यह जुर्माना लगाय, क्योंकि उसने पाया कि याचिकाकर्ताओं ने अपनी सुरक्षा याचिका के साथ हाईकोर्ट का रुख किया, जिसमें उन्होंने यह तथ्य छिपाया कि याचिकाकर्ता नंबर 2 (पुरुष) ने अपनी पहले पत्नी को तलाक दिए बिना ही याचिकाकर्ता नंबर 1 (महिला) के साथ संबंध बनाना शुरू कर दिया था।
याचिकाकर्ताओं ने तथ्यों को छिपाते हुए तत्काल रिट याचिका दायर की।
अदालत ने अपने आदेश में कहा,
"रिट याचिका में कोई दम नहीं है, इसलिए 50,000 रुपये के जुर्माने के साथ इसे खारिज किया जाता है।"
याचिकाकर्ताओं ने पुलिस से सुरक्षा की मांग करते हुए हाईकोर्ट का रुख किया और दावा किया कि वे अपने माता-पिता की इच्छा के विरुद्ध लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं। हालांकि सुनवाई के दौरान अतिरिक्त मुख्य सरकारी वकील ने निर्देशों के आधार पर कहा कि पुलिस सत्यापन में यह बात सामने आई कि याचिकाकर्ता नंबर 1 (धर्म से हिंदू) पुलिस विभाग में कार्यरत है, वह पहले से ही शादीशुदा है और अब वह CCL अवकाश (चाइल्ड केयर लीव) पर है।
पीठ को यह भी बताया गया कि याचिकाकर्ता नंबर 2 (धर्म से मुस्लिम) भी शादीशुदा है और 12 साल के बच्चे का पिता है। उसने अपनी पहली पत्नी को तलाक दिए बिना याचिकाकर्ता नंबर 1 के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहना शुरू कर दिया।
मामले में महत्वपूर्ण तथ्य छिपाए जाने को देखते हुए न्यायालय ने उनकी याचिका खारिज की और उन्हें आज से तीस दिनों के भीतर कर्मचारी कल्याण निधि, हाईकोर्ट, इलाहाबाद के अकाउंट में जुर्माना राशि जमा करने का निर्देश दिया।