BREAKING | यति नरसिंहानंद X पोस्ट मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी पर रोक लगाई
Amir Ahmad
20 Dec 2024 9:55 AM

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऑल्ट-न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी पर 6 जनवरी तक रोक लगाई। यह गिरफ्तारी यति नरसिंहानंद के कथित भड़काऊ भाषण के संबंध में X (पूर्व में ट्विटर) पर उनके पोस्ट को लेकर दर्ज FIR के संबंध में की गई थी।
जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस नलिन कुमार श्रीवास्तव की पीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि जुबैर कोई खूंखार अपराधी नहीं है। साथ ही अगली सुनवाई (6 जनवरी) तक देश छोड़ने पर रोक लगाते हुए पुलिस के साथ जांच में सहयोग करने की शर्त पर उसे राहत प्रदान की।
खंडपीठ ने यह आदेश तब पारित किया जब वह मामले की सुनवाई पूरी नहीं कर पाई और राज्य सरकार ने अभी तक मामले में अपनी दलीलें पूरी नहीं की हैं। राज्य सरकार को 6 जनवरी तक विस्तृत जवाब दाखिल करने को कहा गया। न्यायालय बंद हो गया है और 2 जनवरी को फिर खुलेगा।
शुक्रवार सुबह 10 बजे से दोपहर करीब 2:20 बजे तक चली सुनवाई के दौरान, उत्तर प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया कि यति नरसिंहानंद के कथित भाषण पर जुबैर द्वारा की गई कई X पोस्ट में आधी-अधूरी जानकारी थी और उन्होंने भारत की संप्रभुता और अखंडता को नुकसान पहुंचाया और उसे ख़तरा पहुँचाया।
एडिशनल एडवोकेट मनीष गोयल ने खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि जुबैर की एक्स पोस्ट जिसका उद्देश्य यति नरसिंहानंद के खिलाफ़ हिंसा भड़काना था ने अलगाववादी गतिविधि की भावना को भी बढ़ावा दिया।
बता दें कि जुबैर पर यति नरसिंहानंद सरस्वती ट्रस्ट की महासचिव उदिता त्यागी की शिकायत के आधार पर धारा 152 BNS के तहत FIR दर्ज की गई।
जुबैर ने 3 अक्टूबर को वीडियो का एक धागा पोस्ट किया था। पहले ट्वीट में एक वीडियो था जिसमें डासना देवी मंदिर के पुजारी यति नरसिंहानंद को पैगंबर मोहम्मद के बारे में कथित भड़काऊ टिप्पणी करते हुए दिखाया गया। उन्होंने यूपी पुलिस को भी टैग किया और पूछा कि यति के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि पुरानी वीडियो क्लिप मुसलमानों द्वारा हिंसा भड़काने के इरादे से साझा की गई। जुबैर पर डासना देवी मंडी में यति नरसिंहानंद के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन का भी आरोप लगाया गया। FIR को चुनौती देते हुए जुबैर ने हाईकोर्ट का रुख किया है।
कोर्ट के समक्ष उनके वकीलों ने तर्क दिया कि जुबैर यति नरसिंहानंद के कथित भाषण का हवाला देकर और उनके आचरण को उजागर करके अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग कर रहे थे।
वकील ने आगे कहा कि सिर्फ़ जुबैर ही नहीं बल्कि कई नए लेख और सोशल मीडिया अकाउंट ने इसी मुद्दे पर पोस्ट किया और जुबैर ने कुछ अलग नहीं कहा। सीनियर वकील ने यह भी तर्क दिया कि डॉ. त्यागी की शिकायत सिर्फ़ पब्लिसिटी स्टंट है। यह भी तर्क दिया गया कि जब एक्स पोस्ट किया गया, तब यति नरसिंहानंद के भाषण के बारे में ट्वीट करने से रोकने के लिए पुलिस या किसी अन्य प्रशासनिक प्राधिकरण की ओर से कोई निषेधाज्ञा नहीं थी।